बढ़ रहे वाहनों में खराबी के मामले : रिपोर्ट

वाहनों में खराबियांनई दिल्ली| समय बीतने के साथ वाहनों में खराबियां आने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 56 फीसदी वाहन मालिकों ने अपने वाहन में कम से एक कम खराबी की जानकारी दी है, जबकि पिछले साल ऐसे वाहन मालिकों का औसत 53 फीसदी था। ‘जे.डी. पावर 2017 इंडिया व्हीकल डिपेंडबिलिटी (वीडीएस) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। साल 2017 में भारत में औसतन 100 वाहनों में 189 समस्या (पीपी100) पाई गई, जबकि साल 2016 में यह 185 पीपी100 थी। अगर वाहनों में कम समस्या आती है तो इसका मतलब यह है कि उसकी गुणवत्ता अच्छी है।

इस रिपोर्ट में पाया गया कि किसी वाहन के 40,000 किलोमीटर चल जाने के बाद उसमें अधिक समस्याएं आने लगी हैं। जो वाहन 40,000 किलोमीटर से ज्यादा चल चुके थे, उनमें इससे कम चले वाहनों की तुलना में प्रति 100 वाहन पर 73 अधिक समस्याएं पाई गईं। इन वाहनों में टायर का असमान रूप से घिसना, दरवाजों से आवाज आना, बंपर और बाहरी हिस्सों में जंग लगना जैसी समस्याएं प्रमुख रहीं, जो 40,000 किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी वाहनों में अधिक देखी गई।

जे.डी. पवार के निदेशक शांतनु नंदी मजूमदार ने कहा, “इस्तेमाल के अलावा सड़क और मौसम की स्थिति के कारण भी वाहनों में समस्याएं पैदा होती हैं।”

उन्होंने कहा, “गाड़ी खरीदने के तीन वर्षो बाद वाहन से किकियाहट या खड़खड़ की आवाज निकलना जैसी समस्याएं पैदा होने लगती है, जो इन वाहनों की निर्माण गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है। ऐसे वाहन निर्माता जो समय के साथ वाहनों में होनेवाली इन समस्याओं की पहचान कर विनिर्माण के स्तर ही उसका समाधान कर देते हैं, वे अपने ग्राहकों को एक वाहन मालिक के रूप में अधिक सकारात्मक अनुभव प्रदान कर सकते हैं।”

अध्ययन में पाया गया कि 40,000 किलोमीटर से ज्यादा चले डीजल वाहनों में पेट्रोल वाहनों की तुलना में अधिक समस्याएं देखने को मिलती हैं। वाहनों में समस्या के मामले में पिछले चार सालों में डीजल वाहन और पेट्रोल वाहन के बीच का अंतर और बढ़ा है। जो वाहन 40,000 किलोमीटर से ज्यादा चल चुके हैं, उसमें डीजल वाहन के मालिकों में से 67 फीसदी ने कलपुर्जो को बदलने की जरुरत के बारे में जानकारी दी, जबकि पेट्रोल वाहन के मालिकों का यह औसत 58 फीसदी था।

इस अध्ययन में उन वाहन कंपनियों को पुरस्कृत किया गया, जिनके वाहनों में समय के साथ कम से कम खराबी देखी गई। इसके तहत हुंडई को दो पुरस्कार मिले। हुंडई आई10 (132 पीपी100) को कॉम्पैक्ट श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली, जबकि हुंडई आई20 (162 पीपी100) को प्रीमियम कॉम्पैक्ट श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली।

होंडा को दो पुरस्कार मिले। होंडा ब्रियो (131 पीपी100) और होंडा सिटी (132 पीपी100) को क्रमश: अपर कॉम्पैक्ट और मिडसाइज श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली।

टोयोटा को दो पुरस्कार मिले। टोयोटा एटियॉस (125 पीपी100) और टोयोटा इनोवा (128 पीपी100) को क्रमश: एंट्री मिडसाइज और एमयूवी/एमपीवी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली।

मारुति सुजूकी ऑल्टो 800 (197 पीपी100) को एंट्री कॉम्पैक्ट श्रेणी और फोर्ड इकोस्पोर्ट (169 पीपी100) को एसयूवी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली है।

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