मंदिर को घर में रखते समय खास कर इन 7 नियमों का रखें ध्यान 

घर पर अगर आप भगवान का मंदिर रखती हैं तो जरूरी है कि आप वास्तु शास्त्र बताएं इस महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें। इससे आपके घर में होगा सब कुछ शुभ।
मंदिर को घर में रखते समय खास कर इन 7 नियमों का रखें ध्यान 
हिंदू धर्म में भगवान के मंदिर का बहुत महत्व है। बहुत सारे लुग अपने घर पर ही भगवान का मंदिर बनवाते हैं। बाजार में भी आपको लकड़ी मेटल और मार्बल का मंदिर आसानी से मिल जाता है।
घर में भगवान के मंदिर की अपनी एक विशेष जगह होती है। हर कोई अपने घर के मंदिर को अलग-अलग तरह से डेकोरेट करके रखता है। हिंदू धर्म किसी भी विशेष काम से पहले भगवान के हाथ जोड़ना  और उनकी पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

मगर, मंदिर रखने के लिए घर में विशेष स्थान का चुनाव आप कैसे करती हैं? क्या आप जगह की खूबसूरती या सहूलियत के हिसाब से मंदिर रखने का स्थान चुनती हैं। अगर आपका जवाब हां है, तो ऐसा करना आपके घर के लिए अशुभ हो सकता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में मंदिर रखने के सही दिशा और स्थान का चुनाव करना बेहद जरूरी है।

अगर आप ऐसा नहीं करती तो आपके घर पर कभी पॉजिटिव एनर्जी नहीं आएगी। गोल्ड मेडेलिस्ट एंव वास्तु एक्सपर्ट शालिनी गुप्ता की मानें तो घर में वास्तु के हिसाब से ही मंदिर को रखना चाहिए।

आपने भी देखा होगा कि कई बार अच्छे से पूजा पाठ करने के बाद भी घर खुशियां नहीं आ पाती हैं। घर में अशांति का माहौल रहता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि घर में मंदिर रखने से पहले वास्तु के ये खास नियमों के बारे में जान लें।

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  • घर में मंदिर रखना चाहती हैं तो वास्तु के हिसाब से मंदिर को स्थापित करेने के लिए आपको घर के सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा को चुनना चाहिए। यह दिश भगवान के मंदिर को रखने के लिए सबसे बेस्ट होती हैं।
  • मंदिर की सही दिशा के साथ-साथ आपको अपनी दिशा का भी ध्यान रखना है। आप जब किसी प्रतिमा या फिर तस्वीर की पूजा करती हैं तो आपका मुंह ईस्ट दिशा में होना चाहिए। अगर आप ईस्ट दिशा में मुंह नहीं रख सकतीं तो वेस्ट दिशा भी शुभ है। इन दोनों दिशा में जब मुंह करके पूजा पाठ करती हैं तो आप तल्लीन होकर पूजा कर सकती हैं।
  • कई मंदिर को जमीन पर रख देते हैं। ऐसा वह बैठ के पूजा करने के चक्कर में करते हैं। जबकि वास्तु के हिसाब से मंदिर को इतनी ऊंचाई पर रखना चाहिए कि भगवान के पैर और आपकी छाती का लेवल बराबर हो। ऐसा इस लिए क्योंकि ईश्व सबसे उपर हैं और उन्हें आप किसी भी तरह से अपने से नीचे आसन नहीं दे सकती हैं।
  • अधिकांश घरों में मंदिर में पूजा करने और आरती करने के बाद दिया को वहीं पर रख दिया जाता है। मगर, यह गलत है। दिशा हमेशा घर के साउथ में रखना चाहिए। इससे आपके घर में पॉजिटिव एनर्जी का आगमन होगा।
  • कई लोग तरह-तहर की धातुओं के मंदिर में भगवान की प्रतिमाएं रख देते हैं। मगर, यह गलत है। भगवान का मंदिर लकड़ी का ही होना चाहिए। लकड़ी घर में गुल लक लाने का प्रतीक होती है। अगर आप संगमरमर के मंदिर में भगवान को रखना चाहती हैं तो आप ऐसा भी कर सकती हैं। क्योंकि संगमरमर से भी घर सुख और शांति आती हैं।
  • कई लोग जिस कमरे में उठते, बैठते और लेटते हैं उसी कमरे में वह मंदिर भी बना लेते हैं। कई लोगों की धारणा ये भी होती हैं कि सुंदर सा मंदिर घर के डेकोरेशन में चार-चांद लगाता है। मगर, वास्तु के हिसाब से यह गलत है। अगर आपका घर छोटा है तो आपको मंदिर को पार्टीशन के साथ रखना चाहिए। वहीं घर बड़ा है तो मंदिर को अलग कमरे में रखना चाहिए। उस कमरे में आप तब ही जाएं जब आप साफ सुथरे हों और आपको पूजा-पाठ करना हो। मंदिर के कमरे की दीवार पीले, हरे या फिर हल्के गुलाबी रंग की होनी चाहिए। ध्यान रखें कि दीवार एक ही रंग की हो।
  • कई लोग घर के मृतक सदस्य की तस्वीर को भगवान के मंदिर में या उसके आस-पास रख देतें हैं और भगवान की पूजा के साथ-साथ उनकी पूजा भी करने लगते हैं। वैसे तो यह गलत है मगर, वास्तु के हिसाब से अगर आप तस्वीर को रखना ही चाहती हैं तो आपको भगवान के मंदिर के लेवल से नीचे स्थान पर तस्वीर को रखना चाहिए।

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