जिंदगी को खुशियों से भरने के लिए अपनाएं घर के लिए ये महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स

 वास्तु टिप्सवास्तु एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमें बताता है कि घर, ऑफिस, व्यवसाय इत्यादि में कौन सी चीज होनी चाहिए और कौन सी नहीं. यह मिथक या अन्धविश्वास पर आधारित बातें नहीं बताता है. यह हमें यह भी बतलाता है कि किस चीज के लिए कौन सी दिशा सही होगी. कौन-सा कमरा किस दिशा में ज्यादा अच्छा रहेगा, कौन से पौधे आपको घर में लगाने चाहिए और कौन से नहीं इत्यादि. तो आइए जानते हैं कि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के लिए क्या सही और क्या गलत है. ये वास्तु टिप्स जिंदगी को खुशहाल बना देंगे.

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घर के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स

पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात ईशान कोण में बनाना सबसे अच्छा रहता है.

अगर इस दिशा में पूजा घर बनाना सम्भव नहीं हो रहा हो, तो उत्तर दिशा में पूजा घर बनाया जा सकता है. लेकिन ध्यान रखें कि ईशान कोण सर्वश्रेष्ठ दिशा है.

पूजा घर से सटा हुआ या पूजा घर के ऊपर या नीचे शौचालय नहीं होना चाहिए.

नटराज की तस्वीर या मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इसमें शिवजी ने विकराल रूप लिया हुआ है.

पूजा घर में प्रतिमा स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति का ध्यान उस तरह से नहीं रखा जा सकता है जैसा कि रखा जाना चाहिए. छोटी मूर्तियां और चित्र ही पूजा घर में लगाने चाहिए.

सीढ़ी के नीचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए.

फटे हुए चित्र, या खंडित मूर्ति पूजा घर में बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.

पूजा घर, रसोई या बेडरूम एक हीं कमरे में नहीं होना चाहिए.

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घर के मालिक का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. अगर इस दिशा में सम्भव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.

गेस्ट रूम उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए. अगर उत्तर-पूर्व में कमरा बनाना सम्भव न हो, तो उत्तर पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.

उत्तर-पूर्व में किसी का भी बेडरूम नहीं होना चाहिए.

रसोई के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे अच्छी होती है.

शौचालय और स्नानघर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना सर्वश्रेष्ठ है.

घर की सीढ़ी सामने की ओर से नहीं होनी चाहिए, और सीढ़ी ऐसी जगह पर होनी चाहिए कि घर में

आने वाले व्यक्ति को यह सामने नजर नहीं आनी चाहिए.

सीढ़ी(जीने) के पायदानों की संख्या विषम 21, 23, 25 इत्यादि होनी चाहिए.

सीधी सीढ़ी के नीचे शौचालय, रसोई, स्नानघर, पूजा घर इत्यादि नहीं होने चाहिए. सीढ़ी के नीचे

कबाड़ भी नहीं रखना चाहिए. सीढ़ी पश्चिम दिशा में होनी चाहिए.

सीढ़ी के नीचे कुछ उपयोगी सामान रख सकते हैं और सीढ़ी के नीचे रखे हुए सामान सुसज्जित होने चाहिए.

घर का कोई भी रैक खुला नहीं होना चाहिए. उसमें पल्ले जरुर लगाने चाहिए.

घर में कबाड़ नहीं रखना चाहिए.

कमरे की लाइट्स पूर्व या उत्तर दिशा में लगी होनी चाहिए.

घर के ज्यादातर कमरों की खिड़कियां और दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में खुलने चाहिए.

घर का मुख्य दरवाजा दक्षिणमुखी नहीं होना चाहिए. अगर मजबूरी में दक्षिणमुखी दरवाजा बनाना

पड़ गया हो, तो दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें.

घर के प्रवेश द्वार में ऊं या स्वस्तिक बनाएँ या उसकी थोड़ी बड़ी आकृति लगाएं.

पूजा घर या उत्तर-पूर्व दिशा में जल से भरकर कलश रखें.

शयनकक्ष में भगवान की या धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी तस्वीर नहीं लगानी चाहिए.

ताजमहल एक मकबरा है, इसलिए न तो इसकी तस्वीर घर में लगानी चाहिए. और न हीं इसका

कोई शो पीस घर में रखना चाहिए.

जंगली जानवरों के फोटो घर में नहीं रखने चाहिए.

महाभारत का कोई भी चित्र घर में नहीं रखना चाहिए. क्योंकि इससे कलह कभी खत्म नहीं होता है.

पानी के फुहारे को घर में नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि इससे धन नहीं ठहरता है.

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