वाइल्डलाइफ के सामने आए आकड़े , भारत में वन्यजीवों की 22 प्रजातियां विलुप्त…

वाइल्डलाइफ सर्वे ऑर्गनाइजेशन के आकड़ो के अनुसार भारत से कई जानवर और पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं. जहां इसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कई वजहों को जिम्मेदार बताया है. लेकिन इसमें 1750 से लेकर साल 1876 तक के आंकड़े दिए गए हैं.

 

बतादें की जीवों की चार प्रजातियां और वनस्पतियों की 18 प्रजातियां पिछले कई वर्षों में भारत से विलुप्त हो चुकी हैं. जहां इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में मंत्रालय की ओर से ये मुद्दा भी उठाया गया था.

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खबरों के मुताबिक बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) के निदेशक ए.ए. माओ ने कहा कि भारत दुनिया में सभी वनस्पतियों के 11.5% का घर है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की नई स्टडी में पता चला है कि 1750 के बाद से पक्षियों, स्तनधारियों और उभयचरों की तुलना में दोगुने से अधिक पौधे गायब हो चुके हैं.

वहीं पौधों की 18 प्रजातियां (जिसमें 4 बिना फूल वाले औऱ 14 फूल वाले) विलुप्त हो चुकी हैं. 1882 में (लास्ट्रेप्सिस वाट्टी) जॉर्ज वॉट ने मणिपुर में एक फर्न और जीनस ओफीर्रिहिजा से तीन प्रजातियां खोजी थीं. जहां म्यांमार और बंगाल रीजन में विलियम रोक्सबर्ग द्वारा खोजी गई Corypha taliera Roxb, एक ताड़ की प्रजाति भी विलुप्त है.

लेकिन स्तनधारियों की बात करें तो चीता और सुमाट्रान गैंडा भारत में विलुप्त माने जाते हैं. 1950 के बाद से गुलाबी सिर वाले बतख के विलुप्त होने की आशंका है. हिमालयी बटेर (Ophrysia supercililios) की 1876 तक होने बात सामने आई है.

दरअसल भारतीय प्राणि सर्वेक्षण के निदेशक कैलाश चंद्र ने कहा कि चार जानवर दुनिया के अन्य हिस्सों में पाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया के सभी जीव प्रजातियों का लगभग 6.49% हिस्सा पाया जाता है. जहां मंत्रालय का कहना है ‘प्रतिस्पर्धा, प्राकृतिक चयन, शिकार और निवास स्थान में गिरावट जैसे मानव प्रेरित कारक इन प्रजातियों के विलुप्त होने की कुछ वजहें हैं.

 

 

 

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