वर्ल्ड कप के बाद गावस्कर ने भारतीय टीम की खोली पोल , जाने कैसे…

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने हाल ही में बड़ा खुलासा किया हैं.उनका कहना हैं की वर्ल्ड कप में नंबर 3 के बाद हमारी बल्लेबाजी की पोल खुल गई हैं. देखा जाये तो इसका खामियाजा हमें सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ भुगतना पड़ा हैं.वहीं भारत को वर्ल्ड कप में बल्लेबाजों की कमी दिखी हैं.लेकिन अगर वहीं ये बल्लेबाज रन नहीं बनाते तो हम हमेशा से मुश्किल में होते.

 

बतादे की गावस्कर का कहना हैं की अगर हम लोकेश राहुल की गिनती करें तो क्या हमें चार विकेटकीपरों को खिलाने की जरूरत थी जबकि हमारे पास भारत में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी पड़े हुए थे? इस पर गावस्कर ने कहा, ‘इस सवाल का जवाब सिर्फ टीम प्रबंधन दे सकता है.

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खबरों के मुताबिक गावस्कर ने खुद के संन्यास के बारे में बताया हैं की बेंगलुरु टेस्ट में जब उन्होंने इकबाल कासिम और तौसीफ अहमद की धारदार गेंदबाजी का सामना करते हुए एक बेमिसाल पारी खेली थी, तब पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान ने उनसे कहा था कि यह आपके लिए रिटायर होने का सही समय है और आपको उस वक्त का इंतजार नहीं करना चाहिए.

इस बारे में इमरान ने कहा हैं कि उनकी इच्छा भारत को भारत में हराने की है और अगर मैं टीम में नहीं रहा तो उनकी खुशी कम हो जाएगी. मैंने उनसे कहा कि अगर इंग्लैंड दौरे तक पाकिस्तान के साथ होने वाली सीरीज की घोषणा नहीं हुई तो मैं इस सीरीज के बाद संन्यास ले लूंगा. लेकिन पाकिस्तान सीरीज की घोषणा 14 दिन में हो गई और इसलिए मैंने संन्यास का फैसला टाल दिया.

देखा जाये तो भारतीय क्रिकेट कहानियों से भरा पड़ा है. यहां खिलाड़ियों के बीच दरार की बातें आम होती हैं. सीके नायडू के समय से ही यह चलन जारी है. आज के क्रिकेटरों के पीआर हैं और इसी कारण आज इस तरह के हालात नहीं पैदा हो पाते क्योंकि उन्हें बीच रास्ते में ही दबा दिया जाता है.
सबसे खतरनाक गेंदबाज कौन था?

दरअसल इस पर गावस्कर ने बताया हैं की आज के बल्लेबाजों को शारीरिक चोट का डर नहीं रहता. इस दिशा में जबरदस्त सुधार हुआ है क्योंकि कोई भी मैदान पर गम्भीर चोट नहीं खाना चाहता. मैंने जिन गेंदबाजों का सामना किया है, उनमें से सबसे खतरनाक एंडी रॉबर्ट्स थे. जहां उनके अंदर 60वें ओवर में ऐसी गेंद फेंकने की कला थी, जिसे खेलना लगभग नामुमकिन था. लेकिन उस समय बाउंसर पर कोई रोक नहीं थी और यही कारण था कि उस समय ऐसी लेंथ की गेंदें आती थीं, जिन्हें बैकफुट पर जाकर खेलना पड़ता था. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचों पर अच्छी-खासी घास हुआ करती थी.

 

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