
तंजानिया। एक अफ्रीकी देश में पिछले एक महीने में 800 से ज्यादा लड़कियों का खतना करने की घटना सामने आई है। बता दें कि तंजानिया में इस कार्य पर वहां की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था, ऐसे में सैकड़ों लड़कियों का खतना सरकारी रोक के बावजूद किया गया है। देश के कई पुलिस अधिकारी वहां के उत्तरी हिस्से में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं लेकिन इन सब के बावजूद अब तक लाखों लड़कियां इससे प्रभावित हो चुकी हैं।
तंजानिया पुलिस ने इस तरह के काम करने वाली 12 संदिग्ध महिलाओं को अब तक गिरफ्तार किया है। ये महिलाएं छोटी-छोटी लड़कियों के जननांग को पूरी तरह या आंशिक रूप से बाहर निकालने का काम कर रहे थे। पुलिस इस मामले की सिरे से छानबीन करने में जुटी हुई है।
एक अधिकारी के अनुसार जब तक कि इस गैरकानूनी धंधे में शामिल सभी लोगों को हम गिरफ्तारी नहीं कर लेते या उन्हे आरोपी नहीं बना दिया जाता है तब तक हमारी कार्यवाही जारी रहेगी।
खबरों के मुताबिक अफ्रीका के स्वात और पूर्व-मध्य एशिया के कई इलाकों को लेकर यह अनुमान लगाया गया है कि यहां मादा जननांग विकृति मतलब खतना (एफएमजी) से अब तक लगभग 14 करोड़ लड़कियां और महिलाएं प्रभावित हो चुकी हैं। इन इलाकों में ऐसी मान्यता है कि खतना को शादी से पहले लड़कियों की पवित्रता के लिए एक जरूरी रस्म माना जाता है और लड़कियों और महिलाओं को इस कष्ट से गुजरना पड़ता है। तंजानिया में अब तक लगभग 80 लाख लड़कियों और महिलाओं का खतना किया जा चुका है।
फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन को ही खतना कहा जाता है। इसमें महिलाओं के बाह्य जननांग के कुछ हिस्से को 12 से 17 साल की उम्र के ही बीच काट दिया जाता है। जिसमें क्लिटोरिस के ऊपरी हिस्से को हटाने से लेकर बाहरी और भीतरी लाबिया को हटाना तक शामिल होता है और कई समुदायों में तो लेबिया को सिलने की प्रथा तक प्रचलित है।
यूनिसेफ के आंकड़ों की माने तो दुनिया भर के लगभग 30 देशों में हर साल करीब 20 करोड़ लड़कियों को खतने जैसी असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है। जिनमें करीब साढ़े चार करोड़ बच्चियां 14 साल से कम उम्र की होती हैं। ऐसे गैरकानूनी काम करने में सबसे अधिक तीन देश गांबिया, मॉरितानिया और इंडोनेशिया शामिल हैं।
बता दें कि भारत में शिया मुस्लिम के बेहद संपन्न और शिक्षित समुदाय दाउदी बोहरा में इस प्रथा का रिवाज है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सहसंस्थापक जाकिया सोमान ने इस कुप्रथा के बारे में कहा है कि खतना जैसी प्रथाएं गैर इस्लामी और अमानवीय हैं। ये महिलाओं पर होने वाली हिंसा को बढ़ावा देती हैं। जिस कारण इन्हें तत्काल बंद किया जाना चाहिए।