
इटावाः गुरुवार को देर शाम चले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के चाबुक के बाद सैफई विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच समिति द्वारा घटना की आनन-फानन में विश्वविद्यालय प्रशासन एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा प्राथमिक जांच की गई, जांच के दौरान जांच समिति को प्रथम वर्ष के छात्रों ने अवगत कराया था कि उनकी रैगिंग नहीं हुई।
लेकिन इसके बाद विस्तृत जांच को एंटी रैगिंग समिति के माध्यम से कराया गया जिसमें एमबीबीएस बैच 2019 के 105 छात्रों एवं 55 छात्राओं ने अपने बयान में पहले रैगिंग से इनकार किया था। लेकिन उसके बाद पांच अन्य छात्र एवं छात्राओं ने अपने वरिष्ठ छात्रों द्वारा रैगिंग किए जाने की घटना को मान लिया है और इनके द्वारा कुछ वरिष्ठ छात्रों के नाम भी बताए गए हैं।
यूनिवर्सिटी ने एंटी रैगिंग समिति के द्वारा जो सात सीनियर एमबीबीएस छात्रों को दोषी पाया है। उसमें रैगिंग की घटना में संलिप्त दोषी छात्रों पर 25000 का अर्थदंड लगाया गया है। और 3 महीने के लिए छात्रावास एवं कक्षाओं से प्रतिबंधित भी कर दिया गया है।
क्योंकि यह घटना सामूहिक है इसलिए एमबीबीएस बैच 2018 के समस्त छात्र छात्राओं पर प्रति छात्र ₹5000 का अर्थदंड भी लगाया गया है। विश्वविद्यालय मॉनिटरिंग सेल एवं एंटी रैगिंग स्क्वायड को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है ।
जन्माष्टमी स्पेशल:मुस्लिम परिवार तैयार करता हैं कान्हा के मुकुट, देखें इनकी और भी खासियत
साथ ही शाक्यमुनि छात्रावास के छात्रावास अधीक्षकों को अधीक्षक के दायित्व से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा चुका है। इस तरह से विश्वविद्यालय ने कार्रवाई करते हुए दोषी 7 छात्रों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा पंजीकृत करने के लिए भी लिखित पत्र जारी किया है।