सालों से बेनाम है ये रेलवे स्टेशन, ‘प्रभु’ कर दो नामकरण

रेलवे स्टेशनबर्धमान। बिना नाम के रेलवे स्टेशन के बारे में कभी सुना है आपने। नहीं न, तो आज जान लीजिए। पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले से 35 किलोमीटर की दूरी पर एक रेलवे स्‍टेशन है। यह स्‍टेशन पिछले कई सालों से बेनाम ही है। इसे कोई नाम नहीं दिया गया है।

रेलवे स्टेशन का नहीं है कोई भी नाम

दरअसल यह पूरा मामला दो गांवों के बीच की लड़ाई का है। इस लड़ाई की वजह से ही इस स्‍टेशन को कोई आधिकारिक रूप से नाम नहीं दिया जा सका है। स्‍टेशन का कोई नाम न होने की वजह से बाहर से आने वाले यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां स्‍टेशन पर बोर्ड तो लगाए गए हैं लेकिन इन पर कोई नाम नहीं लिखा गया है।

यह स्‍टेशन बर्धमान जिले के रैना गांव और रैनागढ के बीच पड़ता है। इन्‍हीं दोनों गांवों के बीच की लड़ाई ने आज तक इस स्‍टेशन को बेनाम रखा है। दरअसल दोनों गांव चाहते हैं कि स्‍टेशन का नाम उनके गांव के नाम पर हो। दिन भर स्टेशन पर यात्रियों की आवाजाही होती है। लेकिन इस रूट से गुजरने वाले लोग स्टेशन पर प्लेन बोर्ड को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं। उनके मन सवाल उठता है कि आखिर बिना नाम का कोई रेलवे स्टेशन कैसे हो सकता है। स्‍टेशन पर दिनभर यात्रियों की चहल-कदमी रहती है।

हालांकि यह मामला रेलवे बोर्ड तक भी पहुंच चुका है लेकिन इसको लेकर अभी तक तय नहीं हो पाया कि किस नाम से इस स्‍टेशन को जाना जाएगा।

आज से आठ साल पहले यह रेलवे स्‍टेशन रैनागढ़ के नाम से जाना जाता था। यह रैनागढ़ के करीब हुआ करता था। लेकिन बाद में इसे शिफ्ट किया गया तो यह रैना गांव के करीब पहुंच गया और तब से ही स्‍टेशन बेनामी जिंदगी जी रहा है। हालांकि यहां पर कटने वाले टिकटों में आज भी रैनागढ़ का नाम ही शामिल है।

स्‍थानीय लोग अब इस स्‍टेशन को नाम दिलाना चाहते हैं और इसके लिए उन्‍होंने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से अपील की है कि वह उन लोगों की इस समस्‍या को हल करने में मदद करें।

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