रेलवे में डायल 100 की सेवा को जमकर भुना रहे यात्री, 10 गुना बढ़ गयी शिकायतें

यूपी 100 से जुडऩे के बाद संख्या में यह इजाफा साफ बताता है कि इससे पहले पैसेंजर्स को शिकायत करने के ‘प्लेटफॉर्म’ की जानकारी ही नहीं थी। आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि रेल पैसेंजर्स की सबसे ज्यादा शिकायतें आपसी विवाद की होती हैं। जबकि, सामान की चोरी दूसरे व छेड़खानी तीसरे नंबर पर है। शिकायतों की संख्या बढऩे पर जीआरपी मुख्यालय गहन मॉनीटरिंग कर रहा है।
रेलवे में डायल 100
दब जाती थी शिकायतें 
अब तक रेल सफर के दौरान पैसेंजर्स को शिकायत करने के लिये ट्रेन में चलने वाले जीआरपी एस्कॉर्ट या फिर जीआरपी हेल्पलाइन 1512 पर ही निर्भर रहना पड़ता था। अमूमन हेल्पलाइन के नंबर के बारे में ज्यादातर पैसेंजर्स जागरूक नहीं थे, वहीं एस्कॉर्ट पर तैनात पुलिसकर्मी शिकायतों को दबा देते थे। सफर पर होने की वजह से पैसेंजर्स भी स्टेशन पर मौजूद जीआरपी थानों पर शिकायत करने से कतराते थे। हालांकि, यूपी 100 से जीआरपी हेल्पलाइन के इंटीग्रेटेड होने पर पैसेंजर्स ने राहत की सांस ली है। अब लोग खुलकर यूपी 100 पर डायल कर अपनी शिकायतों को दर्ज करवा रहे हैं।

हर शिकायत व कार्रवाई की मॉनीटरिंग
एडीजी रेलवे संजय सिंघल ने बताया कि यूपी 100 और जीआरपी के इंटीग्रेट होने के बाद से शिकायतों की संख्या तीन गुनी तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि अब तक जीआरपी हेल्पलाइन पर प्रतिदिन औसतन 15 शिकायतें आती थीं। पर, यूपी 100 से जुडऩे के बाद यह आंकड़ा प्रतिदिन औसतन 45 तक पहुंच गया है। एडीजी सिंघल ने बताया कि मुख्यालय पर बनाए गए कंट्रोल रूम से हर शिकायत पर उस पर हुई कार्रवाई की लगातार मॉनीटरिंग की जाती है। अगर शिकायतकर्ता ने चलती ट्रेन से शिकायत की है तो गंभीर अपराधों के मामलों में अगले स्टेशन पर एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।

तैयार हो रहा डाटा बेस
एडीजी सिंघल बताया कि बीते चार दिनों में सबसे ज्यादा पैसेंजर्स या वेंडर से आपसी विवाद की शिकायतें आई हैं। वहीं, पैसेंजर्स के सामान चोरी होने की शिकायत दूसरे नंबर पर व महिला कोच में पुरुष के चढऩे या छेड़खानी की शिकायतें तीसरे नंबर पर हैं। इसके बाद लूट व जहरखुरानी के मामले सामने आए हैं। सभी शिकायतों पर तुरंत एक्शन लिया गया है। उन्होंने बताया कि सभी शिकायतों का डाटा बेस तैयार किया जा रहा है कि किस ट्रेन में किस एरिया में किस तरह की शिकायतें आ रही हैं। इन शिकायतों का विश्लेषण कर जीआरपी की तैनाती व गश्त की रणनीति बनाई जाएगी।

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अजब-गजब शिकायतें भी
रेल के सफर या फिर स्टेशन कैंपस के भीतर से मिलने वाली शिकायतों के साथ ही कुछ ऐसी शिकायतें भी जीआरपी कंट्रोल रूम को पहुंच रही हैं जिन पर कार्रवाई के लिये जीआरपी अधिकृत नहीं है। कई ऐसी शिकायतें मिलीं जिसमें स्टेशन कैंपस के बाहर अतिक्रमण की बात बताई गई।

हालांकि, स्टेशन कैंपस के बाहर होने की वजह से उस पर जीआरपी एक्शन नहीं ले सकती। इसी तरह एक महिला ने अपने बच्चे की गुमशुदगी की शिकायत की जिसमें उसने बच्चे के ट्रेन से भागने की आशंका जताई थी। यह शिकायत भी कंट्रोल रूम पहुंची, जिसे उस महिला के निवास स्थान वाले थाने को फॉरवर्ड किया गया।

जीआरपी कंट्रोल रूम को मिलने वाली हर शिकायत पर मुख्यालय स्तर से मॉनीटरिंग की जा रही है। हमारा एकमात्र उद्देश्य शिकायतकर्ता तक जल्द से जल्द पुलिस की मदद पहुंचाना है।

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