एनएमसी बिल लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में पेश होने वाला है। इसको लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने देश भर में बुधवार को हड़ताल रखी थी।

बृहस्पतिवार को दिल्ली एम्स, सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टरों ने भी हड़ताल की घोषणा की है। इनके अलावा, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के भी सरकारी अस्पतालों में रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। आरएमएल में सर्जरी सस्पेंड का ऑर्डर जारी हो गया है।
इस कारण 30 से 40 हजार मरीजों को उपचार के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। तीनों ही अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी। देर रात बैठक के बाद फैसला सुबह एम्स में 8 बजे प्रदर्शन है, और दोपहर दो बजे संसद का घेराव के लिए एम्स से कूच करेंगे।
करीब दस हजार से ज्यादा डॉक्टरों के मौजूद रहने की संभावना है, पुलिस को लिखे पत्र में जानकारी दी है। बुधवार को दिल्ली एम्स की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने प्रबंधन को हड़ताल की सूचना दी तो चिकित्सा अधीक्षक ने तत्काल आपात बैठक बुलाई। बैठक में एम्स प्रबंधन ने 10 लेयर इंतजाम किए हैं।
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एम्स के अनुसार, बृहस्पतिवार को नए मरीजों को उपचार नहीं मिल सकेगा। ओपीडी में पहले से ही अपाइंटमेंट ले चुके रोगियों के अलावा फॉलोअप केस ही देखे जाएंगे। सुबह 8 बजे परिसर में एनएमसी विधेयक के खिलाफ रैली भी निकाली जाएगी।
एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर ने कहा कि बार-बार मांग करने के बाद भी केंद्र सरकार डॉक्टरों के खिलाफ तानाशाही दिखाने में लगी है। विधेयक में कई ऐसे प्रस्ताव हैं, जो चिकित्सक वर्ग के लिए घातक साबित हो सकते हैं।
अगर राज्यसभा में विधेयक पेश होने से पहले सरकार ने उनकी मांगों को नहीं सुना तो इसके काफी नुकसानदायक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुमेध ने कहा कि विधेयक में नीट पीजी और एक्जिट एग्जाम के अलावा निजी मेडिकल कॉलेजों में महज 50 फीसदी सीटों पर फीस नियंत्रण जैसे कानून गलत हैं।
क्रॉसपैथी को लाना सिरे से खारिज करने वाला है। विधेयक के तहत चार बोर्ड बनाए जाएंगे, जिनमें चिकित्सीय क्षेत्र के लोगों की सहभागिता न के बराबर है। बाहरी क्षेत्र के अधिकारियों को चिकित्सीय वर्ग को समझने में काफी कठिनाइयां आएंगी। इनके अलावा, यूआरडीए चिकित्सीय संगठन ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है।