जानिए… कौन हैं मोदी के चहेते रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति चुनावनई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पिछले कुछ महीनों से जिन नामों पर माथापच्ची हो रही थी. उसके इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबको चौंका दिया. पीएम मोदी ने एक नया नाम दे कर बड़ा दांव खेला है. मोदी ने बिहार के राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के नेता दलित नेता रामनाथ कोविंद का नाम फाइनल किया.

कौन हैं रामनाथ कोविंद

रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1945 में हुआ था. रामनाथ कोविंद कोरी बिरादरी का चेहरा हैं जो कि उत्तर प्रदेश में दलितों की तीसरी बड़ी आबादी है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय से हुई. कानपुर नगर के बीएनएसडी से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी.कॉम व डीएवी लॉ कालेज से लॉ स्नातक की पढ़ाई पूरी की.

इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन इन्होने वकालत के लिए नौकरी ठुकरा दी.

स्वाभाव से सरल और शांत है कोविंद-

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद कम बोलने वाले शालीन चेहरे हैं. विवादों से नाता न के बराबर रहा है. अत्यंत सरल स्वभाव के और काफी मिलनसार हैं. उनसे कोई भी, कभी भी जाकर मिल सकता है. उन्हें राज्य में किसी भी तरह के छोटे-बड़े कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है तो वो ना नहीं कहते। उन्हें लोगों से मिलना अच्छा लगता है.

वकालत से करियर की शुरुआत

कोविंद न 1975 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत से करियर की शुरुआत की. 1977 में रामनाथ तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने. इसके बाद भाजपा से लंबे समय तक जुड़े रहे. 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए.

 राज्यसभा के 2 बार रहे सदस्य-

रामनाथ कोविंद को भाजपा ने दो बार 1993 और 1999 में राज्यसभा भेजा. कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे. घाटमपुर से चुनाव लड़ने के बाद कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे. राज्यसभा सदस्य के रूप में क्षेत्र के विकास में वो लगातार सक्रिय रहे.

बिहार के राज्यपाल-

रामनाथ कोविंद भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. वो पार्टी में अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष, महामंत्री और प्रवक्ता के रूप में दायित्व निभा चुके थे. कोविंद को भाजपा के दलित चेहरों में से एक माना जाता था. अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी.

अचानक बने राष्ट्रपति उम्मीदवार-

एनडीए की बैठक के बाद अचानक रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा हुई. जिसने भी सुना उसे आश्चर्य हुआ लेकिन कोविंद ने अपने बेहतर कार्यों के लिए हमेशा प्रशंसा ही हासिल की है. रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल के रूप में जनता के बीच काफी लोकप्रिय हैं. राष्ट्रपति के रूप में उनको देख कर जनता खुश जरुर होगी.

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