राफेल डील पर गिरा नया ‘बम’, वरुण गांधी आए लपेटे में

राफेल डीलफ्रांस के साथ हुई राफेल डील में नया विवाद हो गया है। इसकी आंच सांसद वरुण गांधी तक पहुंंच रही है। आम आदमी पार्टी से अलग हुए योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने आरोप लगाए हैं कि इस डील की अहम जानकारियां वरुण गांधी ने लीक की हैं।

राफेल डील पर नया विवाद

यह आरोप लगाते हुए योगेंद्र और प्रशांत ने कहा कि न्यूयॉर्क स्थित वकील एडमंड एेेलन ने एक पत्र जारी किया जो पिछले महीने पीएमओ को लिखा गया था। इस पत्र में दावा किया गया था कि हथियार कारोबारी अभिषेक वर्मा ने राफेल डील से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचना साझा करने के लिए वरुण को ब्लैकमेल किया। वरुण रक्षा सलाहकार समिति के सदस्य थे।

स्वराज अभियान के नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के मुताबिक नौसेना वार रूम लीक मामले के आरोपी अभिषेक वर्मा के पूर्व सहयोगी एडमंड ऐलन ने एक पत्र 25 अगस्त तथा दूसरा 16 सितंबर को लिखा है। उन्होंने लिखा है कि कैसे उच्च सैन्य अधिकारियों द्वारा सेना के दस्तावेज लीक कराए जा रहे हैं। इसमें विदेशी वेश्याओं की भी मदद ली गई। यहां तक कि रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक का विवरण तक लीक कराया गया। उन्होंने हैरत जताई कि पीएमओ इस पत्र पर कार्रवाई नहीं कर रहा है।

आरोप लग रहे हैं कि विदेशी वेश्‍याओं ने वरुण को भी ‘खुश’ किया, जिसके बाद उन्हें ब्लैकमेल करके अहम जानकारियां हासिल की गईं। हालंकि वरुण गांधी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह 2004 से अभिषेक वर्मा से नहीं मिले हैं और उन्होंने आरोपों को लेकर भूषण तथा यादव के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। सांसद ने यह आशंका भी जताई कि यूपी चुनाव में उनकी भूमिका को रोकने के लिए ऐसे आरोप लगाए गए हैं।

कारोबारी अभिषेक वर्मा ने भी आरोपों को खारिज करते हुए इनसे संबंधित ईमेल एवं तस्वीरों को मनगढ़ंत करार दिया जिनमें कहा गया है कि भाजपा सांसद वरूण गांधी ने उन्हें रक्षा जानकारियां लीक कीं। उन्होंने कहा, ‘एलन (न्यूयॉर्क आधारित वकील) एक जाना-पहचाना फर्जीवाड़ा करने वाला व्यक्ति है। वह अतीत में भी दूसरे लोगों की तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर चुका है। मैंने छह फरवरी, 2012 को पटियाला हाउस अदालत में एलन के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई चल रही है और मामला विचाराधीन है।

दूसरी तरफ प्रशांत भूषण ने कहा कि राफेल की कंपनी थेलिस के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से यह सौदा खटाई में पड़ सकता था। उन्होंने कहा कि 126 विमान खरीदने की विगत की घेाषणाओं के उलट सरकार ने 36 विमान खरीदे और हर इकाई के लिए दोगुने पैसे का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ गडबडी प्रतीत होती है।

 

भूषण ने कहा कि स्कार्पीन पनडुब्बी की खरीद फ्रांस की थेलिस कंपनी से की गई थी। लेकिन यूपीए शासन में इस मामले की जांच को दबाया गया। सीबीआई को सबूत इसलिए नहीं मिले क्योंकि कोई एफआईआर दर्ज ही नहीं की गई, जबकि सीबीडीटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में वित्तीय लेन-देन के सबूत होने की बात कही थी, लेकिन जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो भी इस मामले में जांच आगे नहीं बढ़ाई गई। अगर जांच होती तो थेलिस कंपनी को काली सूची में डालना पड़ता और राफेल सौदा भी नहीं हो पाता।

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