राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की हिदायत, सोशल मीडिया पर किया प्रचार तो देना होगा हिसाब

सोशल मीडिया को बनाया प्रचार का हथियार तो खर्च का भी देना होगा हिसाब. झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एल खियांग्ते ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल, फेक न्यूज और राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाले खर्च को कंट्रोल करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के लिए वॉलेंटियरी कोड ऑफ एथिक्स प्रभावी है.

चुनाव प्रचार

इसके तहत विकिपीडिया, ट्विटर, यू ट्यूब, फेसबुक व वर्चुअल गेम्स जैसे एप्स पर प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों द्वारा संसदीय चुनाव के सिलसिले में किए गए प्रचार पर खर्च को चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा.

इसमें विज्ञापन को प्रचारित करने के लिए इंटरनेट कंपनियों व वेबसाइटों को किया गया भुगतान, प्रचार संबंधी प्रचलनात्मक व्यय, प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों द्वारा अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को बनाए रखने के लिए नियोजित कामगारों की टीम को दिए गए वेतन व मजूदरी पर खर्च आदि को शामिल किया गया है.

ई-मेल एड्रेस की आयोग को दें जानकारी
खियांग्ते ने बताया कि निर्वाचन प्रचार से संबंधित विविध उपबंध सोशल मीडिया पर भी उसी तरह लागू होते हैं जैसे वे किसी अन्य मीडिया का इस्तेमाल करके किए जाने वाले चुनाव प्रचार के किसी अन्य रूप पर लागू होते हैं. प्रत्याशी द्वारा उनके ई-मेल आईडी और सोशल मीडिया खाता के बारे में सूचित किया जाना है.

मुरादाबाद में आज रोड शो करेंगे PM मोदी, सुरक्षा के किये गए पुख्ता इंतजाम

राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन जरूरी
खियांग्ते ने बताया कि सोशल मीडिया वेबसाइटें परिभाषा की लिहाज से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की श्रेणी में आती हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों द्वारा सोशल मीडिया वेबसाइटों सहित इंटरनेट आधारित कोई भी मीडिया, वेबसाइटों के लिए कोई भी राजनीतिक विज्ञापन उसी फॉर्मेट और उन्हीं प्रक्रियाओं का अनुपालन करते हुए सक्षम पदाधिकारियों से पूर्व प्रमाणन कराए बिना रिलीज नहीं किए जाएंगे.

LIVE TV