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मोहम्मद महदी अहमद सूडान के खार्तूम बैंक के बाहर एटीएम से पैसे निकालने के लिए एक लंबी कतार में खड़े हैं. सूडान के शहरों में कैश की किल्लत और क्रान्ति के बीच यह आम नजारा है.

हाल ही के दिनों में बैंक मशीनों से बहुत कम कैश ही निकाला जा रहा है. कुछ किस्मत के धनी लोगों को 40 डॉलर तक पैसे मिल जाते हैं.

फॉर्मर्स कॉमर्शियल बैंक के सामने लगी लंबी कतारें पल भर में छितर-बितर हो जाती है क्योंकि मशीनों में कैश खत्म हो चुका है.

72 वर्षीय मोहम्मद कहते हैं, ‘मैं यहां सुबह 7 बजे से कतार में लगा हूं.’ कतारों में लगे बाकी लोगों की तरह वह भी अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर गुजर-बसर कर रहे हैं.

ऐसा नहीं है कि लोगों के बैंक अकाउंट में पैसे नहीं हैं. उनके पास पैसे हैं. दिक्कत ये है कि केंद्रीय बैंक रिटेल बैंकों को पैसा नहीं भेज रहे हैं जिससे उपभोक्ता अपने पैसे ही नहीं निकाल पा रहे हैं

मोहम्मद अहमद कहते हैं, “हम बहुत परेशान हो रहे हैं. बैंक में करीब 20,000 लोग हैं. कई लोगों को पैसे निकालने की सख्त जरूरत है और वे लगातार पैसे निकालने के लिए कतार में लग रहे हैं. मैं भी कल यहां आया था और मैं फिसलकर गिर गया.”

करेंसी का यह संकट नया नहीं है. कई कैश मशीनें नवंबर महीने से ही बैंक नोटों की कमी से जूझ रही हैं क्योंकि सरकार मुद्रा अवमूल्यन और आपातकालीन कदमों से आर्थिक संकट को रोक नहीं पाई. पूर्व तानाशाह उमर-अल बशीर को विरोध-प्रदर्शनों के चलते सत्ता से बेदखल होना पड़ा था.

मुद्रा संकट की पृष्ठभूमि कई सारी आर्थिक समस्याओं की वजह से लंबे समय से तैयार हो रही थी. पिछली तीन तिमाही में सूडान के तेल निर्यात में कमी आने से विदेशी मुद्रा का संकट पैदा हो गया था.

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सऊदी अरब और यूएई की 3 अरब डॉलर की आर्थिक मदद के बावजूद सूडान में कैश की कमी की समस्या 5 महीने से लगातार गंभीर बनी हुई है. सूडान का नकदी संकट यहां के लोगों के जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है.

लाइन में घंटों खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे अब्दुल रहमान कमल कहते हैं, करीब दो महीने हो चुके हैं जब मुझे कैश मिला हो. मुझे इलाज के लिए पैसों की जरूरत है.

मैं आज 2000 सूडानी पाउंड निकाल सकता हूं लेकिन यह काफी नहीं होगा. मुझे बार-बार पैसे निकालने के लिए आना होगा. मुझे पैसे निकालने की बहुत जरूरत है क्योंकि मैं अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार ले रहा हूं और मुझे नहीं पता कि मैं उन्हें पैसे चुका पाऊंगा या नहीं.

कुछ लोगों का कहना है कि कैश की कमी की वजह से अर्थव्यवस्था में कई समस्याएं पैदा हो गई हैं. लोग अपनी जरूरतों के लिए अपना सामान बेच रहे हैं.

घर और कार जैसी चीजों की दो कीमतें हो गई हैं. एक जो कैश से भुगतान कर सकते हैं और दूसरी जो चेक से पेमेंट कर रहे हैं. चेक से भुगतान करने वालों को ज्यादा कीमतें चुकानी पड़ रही हैं. बैकिंग व्यवस्था में लोगों का भरोसा बिल्कुल चकनाचूर हो गया है.

एटीएम की लाइन में लगा एक शख्स चिल्लाता है, यही वजह है कि हमें क्रांति की जरूरत है. कहां है हमारा पैसा? केंद्रीय बैंकों को बैकिंग व्यवस्था में पैसा डालना चाहिए. बैंक के नोट्स कहां गायब हो गए?

कुछ लोगों का कहना है कि उनका पैसा चोरी हो चुका है, वहीं कुछ का मानना है कि अधिकतर समस्याएं पूर्व शासन की अव्यवस्थाओं की वजह से पैदा हुई हैं.

आर्थिक विशेषज्ञ जोना रोसेंथल और गैब्रिस इराडियन ने अप्रैल महीने में कहा था, तेल से होने वाले राजस्व में कमी के साथ सरकार ने केंद्रीय बैंक से उधार बढ़ा दिया. इससे मुद्रास्फीति पैदा हो गई. मुद्रा भंडार डगमगाने लगा क्योंकि केंद्रीय बैंक ने विनिमय दर बढ़ाए रखी.

जब बैंक ने पाउंड का 40 फीसदी अवमूल्यन किया तो इससे मुद्रास्फीति में इजाफा हो गया. महंगाई से परेशान जनता ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए जिसके बाद तीन दशकों तक सत्ता में रहे बशीर को कुर्सी से बेदखल होना पड़ गया. सूडान में उपजे आर्थिक संकट के अभी और भी खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं.

जो लोग बैंक ऑफ खार्तूम की कतारों में लगे हैं, वे भाग्यशाली हैं. फार्मर्स कॉमर्शियल बैंक सुबह से ही कैश से खाली हो चुके हैं.

एक बैंक की लाइन से निराश लौटने के बाद दूसरे बैंक में देर से पहुंचे इंजीनियर अब्दुल लतीफ कहते हैं, वे लोग कहते हैं कि उन्होंने एटीएम में £200,000 डाले थे. मशीन से कुछ पैसे निकाल पाता, इससे पहले ही एटीएम में पैसे खत्म हो जाते हैं.

अब्दुल कहते हैं, अभी तक मैंने उधार मांगकर किसी तरह मैनेज किया लेकिन अब मुझे अपने मजदूरों को भुगतान करने और कंपनी के लिए कच्चा माल खरीदने के लिए पैसे की जरूरत है. कैश की किल्लत की वजह से हममें से कोई भी काम नहीं कर पा रहा है.

 

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