योगी सरकार ने पेश किया 3 लाख 84 हजार करोड़ का पहला बजट
लखनऊ। आज विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश का पहला बजट पेश किया. विधानमंडल बजट सत्र की शुरुआत विधानसभा में विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर जोरदार हंगामे के साथ हुई. हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ह्रदयनारायण दीक्षित ने सदस्यों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने. इसके बाद अध्यक्ष ने विधानसभा 12.15 बजे तक स्थगित कर दी गई थी.
बजट के अंदर 36 हजार करोड़ रुपये कर्जमाफी के लिए आवंटित किए गए हैं. ये बजट पिछले बजट से 10.9 प्रतिशत अधिक है. बजट के अंदर आबकारी शुल्क से राजस्व संग्रह लक्ष्य 20 हजार 593 करोड़ 23 लाख रुपये तय किया गया है. वहीं अनुमानित राजकोषीय घाटा 2017-18 में 42967,86 करोड़ का अनुमानित है.
विपक्ष के हंगामे पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार डंके की चोट पर काम कर रही है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहा है.
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सरकार के सामने होगी बड़ी चुनौती
सत्ता में आते ही सरकारी खजाने पर करीब 75,000 करोड़ रुपये के बोझ से निपटना मौजूदा सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. बोझ कम करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं और नयी परियोजनाओं के लिए आवंटन में कटौती की जा सकती है.
प्रदेश सरकार महत्त्वाकांक्षी परियोजना लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए भी कम धनराशि का आवंटन करेगी. अब यह परियोजना पूरी करने के लिए हुडको से कर्ज लेने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं. इससे पहले पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए भी हुडको से कर्ज लिया था.
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किसानों का कर्ज माफ करने से बढ़ा सरकारी खजाने पर बोझ
अपने संसाधनों के दम पर प्रदेश के 86 लाख लघु और सीमांत किसानों के फसली कर्ज को माफ करने के योगी सरकार के फैसले से सरकारी खजाने पर 36389 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है. प्रदेश सरकार अपने आने वाले बजट में इस धनराशि का प्रबंध करेगी. इसके अलावा जनवरी से लागू की गयी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के चलते भी सरकारी खजाने पर करीब 34,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है.
आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अकेले राष्ट्रीय राजमार्गों से शराब की दुकानें, बार और मॉडल शॉप हटाने के फैसले से राजस्व में 5000 करोड़ रुपये की कमी आने का अनुमान है.