यूपी आए और होली नहीं खेली तो…

यूपी की होलीलखनऊ : यूपी में बीजेपी की जीत का जश्न मनाया जा रहा है. इस जीत के जश्न के साथ ही होली के त्यौहार का जश्न मनाया जाने की तैयारियां हो रही हैं. देश का कोई भी फेस्टिवल हो यूपी का कोई जवाब नहीं है. यूपी की होली पूरी दुनिया में मशहूर है. हिन्दू हो या मुसलमान सभी इस त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं. हर बार की तरह इस बार भी उत्तर प्रदेश के हर गांव और शहर की होली बेहद रंगीन होगी और लोगों को एक-दूसरे के और करीब लाने का काम करेगी.

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यूपी की होली की स्टोरी

ब्रज की लट्ठ मार होली पूरी दुनिया में मशहूर हैं. मथुरा के भरतपुर नामक गांव में मुसलमान चौपाई गाते हैं. और नाचते हुए गांव में होली मनाते हैं. इस जगह को राधा नगरी कहा जाता है और यहां के लोग सदियों से ऐसे ही होली खेलते आ रहे हैं.

भरतपुर जिले के काम्यवन में भोजन थाली नामक स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण गाय चराने जाया करते थे. बरसाना से श्री राधा रानी उनके लिए खाना लेकर जाती थी. रास्ते में नदी के किनारे बैठकर वो एक-दूसरे से मिला करते थे. इसी जगह कृष्ण ने राधा के साथ रंगों की होली खेली थी. तभी से इस गांव का नाम राधानगरी पड़ा.

अगर बात करें नवाबों के शहर लखनऊ की तो क्या कहने जनाब.  नवाबों के समय से ही अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए मशहूर है. नवाब आसिफुद्दौला ने लखनऊ में होली खेलने की प्रथा को मुसलामानों के बीच मशहूर करवाया था. नवाब भी बड़े मन से होली खेला करते थे. आज इतने सालों बाद भी ये प्रथा चलती आ रही है. हर साल चौक इलाके में होली की बारात निकलती है. मुसलमान, हिंदुओं के साथ गुझिया और पापड़ का स्वाद चखते हैं. ये प्रथा यहां नवाबों के समय से ही प्रचलित है.

कानपुर की भी कुछ यही कहानी है. यहां पर भी मुसलमान व्यापारी हर साल होलिका दहन के लिए होलिका सजाते हैं और फिर इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. हर वर्ष यहां होलिका के साथ एक ख़ास मकसद को जोड़ दिया जाता है. ऐसे में होलिका दहन के साथ ‘गुरैया बचाओ’ और ‘बेटी पढ़ाओ’ जैसे सन्देश जुड़े रहते हैं.

 

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