यहां के बच्चे हो रहे मानव तस्करी का शिकार, हर तीसरा बच्चा..

नई दिल्ली। किसी भी राष्ट्र को जितना खतरा आतंकवाद जैसे कलंक से है उतना ही मानव तस्करी जैसे दाग से। दोनों में अंतर है, आतंकवाद देश की सुरक्षा के लिए खतरा है तो मानव तस्करी उस मट्ठे की तरह है जो समाज की जड़ों में रिस रहा है। ये खुलासा संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यूरोप के कई हिस्से और भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देश तस्करी से पीड़ित हैं। रिपोर्ट में पता चला है कि हर तीसरा तस्करी पीड़ित एक बच्चा है। ये चौंकाने वाले तथ्य बताते हैं कि मानव तस्करी वर्तमान में कितना भयावह रूप धारण कर चुकी है।

विश्व में नशीली दवाओं और अपराध की निगरानी करने वाली यूनाइटेड नेशन की एक संस्था यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) की ‘ग्लोबल रिपोर्ट ऑन ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स 2018’ 142 देशों से ली गई जानकारी पर आधारित है, जिसमें तस्करी के तौर तरीकों की जांच-पड़ताल की गई है।

रिपोर्ट में पता चलता है कि पीड़ितों के साथ हो रहे यौन शोषण के साथ ही मानव तस्करी अब ‘भयानक रूप’ ले चुका है। तस्करी के शिकार हुए लोगों में अब 30 फीसदी बच्चे शामिल हैं, जिनमें लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कहीं अधिक होती है। पश्चिमी और दक्षिणी यूरोप के कई हिस्सों में भी दक्षिण एशिया (और दक्षिण-पश्चिम एशिया) के पीड़ितों का पता चला है।

रिपोर्ट बताती है कि, ‘इन पीड़ितों को बांग्लादेश, भारत, और पाकिस्तान समेत अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों से तस्करी कर लाया गया है, जिनमें नेपाल और श्रीलंका से कुछ हद तक लाए गए लोग भी शामिल हैं। नॉर्डिक देशों, नीदरलैंड और ब्रिटेन में भी अफगानिस्तान से तस्करी कर लाए गए कई पीड़ितों का पता लगाया गया है।’

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रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इन्हीं देशों से ही अधिकतर लोग तस्करी कर दुनिया के बाकी हिस्सों में ले जाए जाते हैं। विश्व के 40 से अधिक देशों में जिन तस्करी पीड़ितों के बारे में पता चला है उनमें अधिकतर दक्षिण एशियाई देशों से ही पाए गए।

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