जानिए…कैसे करें मोर पंख से नवग्रह दोष दूर

मोर पंखहिन्दू धर्म में मोर के पंखों का विशेष महत्व है। धर्म-शास्त्रों के अनुसार मोर पंखों में सभी देवी-देवताओं और नौ ग्रहों का वास होता है। ज्योतिष शास्त्र में भी मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि ज्योतिष शास्त्र में बताई गई विधि से मोर पंख को स्थापित किया जाए तो कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं।

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आईये जानते हैं, किस प्रकार करें मोर पंख से नौ ग्रहों को खुश:-

शनि की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें-

  • ऊँ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

चंद्र की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

  • ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

मंगल की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

मंगलवार को सात मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…

  • ऊँ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

बुध की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

  • ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

गुरु की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

  • ऊँ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

शुक्र की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

  • ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

सूर्य की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

  • ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

राहु की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

  • ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:

केतु की अशुभ दशा को इस प्रकार करें शुभ

शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।

  • ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
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