अखिलेश के ‘साथी’ पर लटकी मोदी तलवार, 270 दिनों का अल्टीमेटम, फिर बिक जाएगा सब कुछ

मोदी तलवारनई दिल्ली। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे को बनाने वाले जेपी बिल्डर का खराब वक्त शुरू हो गया है। बता दें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया है। कंपनी पर करीब 8 हजार 365 करोड़ का कर्ज बताया जा रहा है। इस मामले में ट्रिब्यूनल को जेपी इंफ्राटेक कंपनी के पक्ष का इंतजार है। कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए 270 दिनों का वक्त दिया गया है।

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ख़बरों के मुताबिक़ अगर कंपनी ने दिए गए 270 दिनों में अपनी स्थिति सुधार ली तो ठीक है, वरना कंपनी की तमाम प्रॉपर्टी नीलामी हो सकती है।

ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने आईडीबीआई बैंक की याचिका को स्वीकार किया और जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित कर दिया।

इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत जब एनसीएलटी में कोई केस स्वीकृत हो जाता है, उसके बाद 180 दिनों के अंदर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारनी होती है। इस अवधि को 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

अगर इसके बाद भी कंपनी की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरती को कंपनी के असेट्स को नीलाम कर दिया जाएगा।

जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड उन 12 खातों में से एक है, जिन्हें दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के लिए चुना गया था।

कुछ समय पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के एनपीए को कम करने की दिशा में कार्रवाई करते हुए 12 डिफॉल्टर्स की पहचान की थी। इन 12 खातेदारों पर बैंकों का करीब 5000 करोड़ रुपए से भी अधिक बकाया था।

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कुल एनपीए का 25 फीसदी इन 12 खातेदारों के नाम पर था। इन्हीं 12 खातेदारों में से एक है जेपी इंफ्राटेक।

RBI ने बैंकों को इन 12 खातेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दे दिया था।

बैंकों की तरफ से इन खातेदारों के खिलाफ दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता यानी आईबीसी के तहत कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

इस मामले में करीब 8 लाख करोड़ रुपए की राशि कर्ज में फंसी है, जिसमें से 6 लाख करोड़ रुपए पब्लिक सेक्टर के बैंकों के हैं।

बता दें कि जेपी इंफ्राटेक के पूरे दिल्ली एनसीआर में 32 हजार फ्लैट्स हैं। इसका असर उन लोगों पर बहुत अधिक पड़ेगा, जिन्होंने इन 32 हजार फ्लैट्स खरीदने के लिए पैसे लगाए थे।

जेपी के दिवालिया घोषित होने से कंपनी के साथ-साथ घर खरीदने वाले भी दिक्कत में पड़ सकते हैं।

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