मानसून में आपकी त्वचा को चमकाएगा ‘चमत्कारी’ साबुन
बारिश के मौसम में वातावरण में मौजूद नमी आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकती है, ऐसे में कुछ मामूली बदलाव और आयुर्वेदिक साबुन के इस्तेमाल से त्वचा की चमक व ताजगी बरकरार रखी जा सकती है।
आयुर्वेद में त्वचा की देखभाल से संबंधित ये सुझाव दिए हैं :
आयुर्वेदिक और हर्बल साबुन त्वचा के पीएच बैलेंस को प्रभावित किए बिना सौम्यता से शरीर की अशुद्धियों को दूर करते हैं। इस मौसम में बैक्टीरिया और गंदगी से त्वचा को बचाना जरूरी है। ये साबुन त्वचा नें नमी बरकरार रखते हैं और इसे रिजूविनेट करते हैं।
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आयुर्वेदिक साबुन जैसे बायो ऑलमंड ऑयल शरीर को पोषित करते हैं, जो प्राकृतिक पोषक तत्वों से समृद्ध होते हैं। वे बादाम, मारगोसा, नारियल तेल, हल्दी आदि से युक्त होते हैं, जो त्वचा को मुलायम बनाते हैं।
गुलाब के सत्वों से बना साबुन त्वचा में प्राकृतिक नमी बरकरार रखते हुए चमक और निखार लाता है। गुलाब का तेल और पंखुड़ियां त्वचा के दाग-धब्बों को दूर करते हैं।
मानसून में लैवेंडर साबुन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसके जीवाणुरोधी गुण त्वचा में हो रही जलन और खुजली को दूर करते हैं, इसकी खुशबू ताजगी और सुकून का अहसास कराती है।
चारकोल साबुन तैलीय और मिश्रित त्वचा के लिए मानसून में अच्छा विकल्प है। साबुन में मौजूद एक्टिवेटेड बैंबू चारकोल गंदगी, टॉक्सिन और अशुद्धियों को दूर कर त्वचा के रोम छिद्रों को खोल देते हैं। ये मुंहासे, दाग-धब्बे भी दूर करते हैं।
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पपीता और खीरा युक्त साबुन सभी प्रकार की त्वचा के लिए उपयुक्त होता है। यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटा कर रोम छिद्र खोल देता है और मुंहासों को नियंत्रित कर दाग-धब्बे कम करता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा कोमल हो जाती है। यह त्वचा में नमी बरकरार रखता है।