किडनी ट्रांसप्लांट से बचना है तो अपनाएं ये अचूक नुस्खे

किडनी ट्रांसप्लांटभारत में किडनी रोग यानी गुर्दे खराब होने की समस्या में तेजी से इजाफा हुआ है। बदलती खान-पान की आदतों और भाग-दौड़ की जिंदगी, प्रदूषित पानी पीने से किडनी की बीमारियां बढ़ रही हैं। लेकिन आयुर्वेद को अपना कर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। किडनी के रोगी चाहे उनका डायलासिस चल रहा हो या शुरू होने वाला हो, चाहे उनका क्रिएटिनिन या यूरिया कितना भी बढ़ा हो और अगर डॉक्टर्स ने भी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया हो, ऐसे रोगियों के लिए विशेष तीन रामबाण प्रयोग हैं, जो उनको इस प्राणघातक रोग से छुटकारा दिला सकते हैं।

आइये जानते हैं ये तीन रामबाण इलाज:-

गेंहू के जवारो और गिलोय का रस

गेंहू की घास को धरती की संजीवनी के समान मानी जाती है, जिसे नियमित रूप से पीने से गंभीर रोगी भी स्वस्थ हो जाता है। और इसमें अगर गिलोय का रस मिला दिया जाए तो ये मिश्रण अमृत बन जाता है।

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गेंहू के जवारों का रस 50 ग्राम और गिलोय (अमृता की एक फ़ीट लम्बी व् एक अंगुली मोटी डंडी) का रस निकालकर – दोनों का मिश्रण दिन में एक बार रोज़ाना सुबह खाली पेट निरंतर लेते रहने से डायलिसिस द्वारा रक्त चढ़ाये जाने की अवस्था में आशातीत लाभ होता है।

नीम और पीपल की छाल का काढ़ा

नीम और पीपल की छाल का काढ़ा रोजाना मात्र सात दिन क्रिएटिनिन का स्तर व्यवस्थित हो सकता है। तीन गिलास पानी में दस ग्राम नीम की छाल और 10 ग्राम पीपल की छाल लेकर आधा रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में 3-4 भाग में बाँट कर सेवन करते रहें।

गोखरू काँटा काढ़ा

250 ग्राम गोखरू कांटा 4 लीटर पानी मे उबालिए जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और गोखरू कांटा फेंक दीजिए। इस काढ़े को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए। शाम को खाली पेट का मतलब है दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद। काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रोटिन पूर्ववत ही रखिए।

 

 

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