जानिए… कैसे पड़ा माँ भगवती का नाम दुर्गा?

माँ भगवतीपौराणिक कथाओं के अनुसार पुरातन काल में दुर्गम नाम का एक दैत्य हुआ करता था। उसने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की। दुर्गम के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्म देव उसके समक्ष प्रकट हुए और एक वरदान मांगने को कहा। दुर्गम ने सभी वेदों को प्राप्त करने का वरदान मांग लिया। तत्पश्चात उसने सभी वेदों को अपने वश में कर लिया, जिससे देवताओं का बल क्षीण हो गया। तब दुर्गम ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। तत्पश्चात ब्रह्म देव ने देवताओं को माँ भगवती का स्मरण करने के लिए कहा। देवताओं ने शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ तथा चण्ड-मुण्ड का वध करने वाली शक्ति का आह्वान किया।

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देवताओं के बार-बार आह्वान करने पर देवी प्रकट हुईं। उन्होंने देवताओं से उन्हें बुलाने का कारण पूछा। सभी देवताओं ने एक स्वर में बताया कि दुर्गम नामक दैत्य ने सभी वेद तथा स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया है तथा हमें अनेक यातनाएं दी हैं। आप उसका वध कर दीजिए। देवताओं की बात सुनकर देवी ने उन्हें दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिया।

यह बात जब दैत्यों का राजा दुर्गम को पता चली तो उसने देवताओं पर पुन: आक्रमण कर दिया। तब माता भगवती ने देवताओं की रक्षा की तथा दुर्गम की सेना का संहार कर दिया। सेना का संहार होते देख दुर्गम स्वयं युद्ध करने आया।

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तब माता भगवती ने काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला आदि कई सहायक शक्तियों का आह्वान कर उन्हें भी युद्ध करने के लिए प्रेरित किया। भयंकर युद्ध में भगवती ने दुर्गम का वध कर दिया। दुर्गम नामक दैत्य का वध करने के कारण माँ भगवती दुर्गा के नाम से भी विख्यात हो गईं।

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