महोबा की पत्थर मंडी में हड़ताल से बेरोजगार हुए हजारों मजदूर

REPORT – DILIP BAJPAI/MAHOBA

सालाना 500 करोड़ से अधिक खनिज राजस्व देने वाली सूबे की सबसे बड़ी कबरई पत्थरमंडी में 17 अगस्त से शुरू हुई बेमियादी हड़ताल से महोबा जिले की अर्थव्यवस्था गम्भीर रूप से प्रभावित हुई है , पहाड़ों में खनन और क्रेशरों में ग्रिट उत्पादन कार्य बंद होने से हजारों श्रमिक जहां बेरोजगार हो गए है तो इस व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों, मिस्त्रियों , होटलों , पेट्रोलपंपों का व्यवसाय गड़बड़ा गया है, इसके अलावा ट्रकों की आवाजाही बंद होने के चलते टोल प्लाजा पर ट्रैफिक आधा रह गया है और शाषन को भी हर रोज राजस्व की भारी क्षति हो रही है .

पत्थर मंडी में हड़ताल

उत्तरप्रदेश सरकार की गलत खनन नीति के चलते महोबा जिले का एकमात्र पत्थर व्यवसाय पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है जिसके विरोध में 17 अगस्त से पहाड़ एव क्रेशर व्यापारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल लगातार जारी है .

पत्थर व्यापारियों की हड़ताल लाखों दैनिक मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आन पड़ा है तो वहीं पत्थर व्यवसायी व क्रेशर मालिकों पर बैंकों का करोड़ों का कर्ज डूबने की कगार पर है . साथ ही राजस्व में भी सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है सालाना 500 करोड़ से अधिक राजस्व देने वाली पत्थरमंडी आज गलत खनन नीतियों के चलते गर्त में पहुंच गई है .

निश्चित तौर पर यह एक बेहद चिंता का विषय है कि महोबा के पहाड़ो और क्रेसर प्लांटो पर एक लाख से अधिक मजदूर दैनिक मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं ।

पत्थरमंडी में हुई तालाबंदी का सबसे बुरा प्रभाव यहाँ के नौजवानो पर दिखाई दे रहा है, साथ ही खनन की राजस्व रायल्टी में भारी कमी आयी है . पेट्रोलपम्प, दुकानों और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है .

हालांकि अब व्यापारियों और जिलाप्रशाषन के बीच व्यापार शुरू करने की बात की जा रही है तो वहीं 7 सूत्रीय माँगों को लेकर पत्थर व्यवसाइयों का दल लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से खनन नीति में बदलाव की मांग करेगा .

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पत्थरमंडी में चल रही हड़ताल को खत्म करने को लेकर मुख्यमंत्री व प्रशाषनिक जिम्मेवार क्या कदम उठाते हैं और ये हड़ताल आखिर कब तक चलेगी.

ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि महोबा जिले कक एकमात्र व्यवसाय बन्द होने से पूरे जिले पर इसका असर देखने को मिल रहा है और इस समस्या का समाधान न होने से राजस्व की छति होने के अलावा आने वाले समय में बेरोजगारी बढ़ने के चलते यहाँ से पलायन तो बढ़ेगा ही साथ ही बैंकों का करोड़ों रुपये का कर्ज भी डूबने की आशंका जताई जा रही है .

 

 

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