रातोंरात बन गए ये पांच भव्य मंदिर, कोई नहीं जानता कैसे हुआ ये करिश्मा

 

मंदिरभारत सर्वधर्म समभाव वाला देश है। यहाँ कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें लोग भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं। वैसे तो मंदिर बनाने में कई साल लग जाते हैं लेकिन आज हम आप को बताएंगे कुछ ऐसे ख़ास मंदिरों के बारे में जिनके बारे में कहा जाता है कि वो सिर्फ एक रात में ही तैयार हुए थे। ये मंद‌िर इतने व‌िशाल और भव्य हैं कि इनको देखने के बाद आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते की ऐसा हो सकता है। हर एक मन्दिर में एक या अधिक देवताओं की उपासना होती है और गर्भगृह में इष्टदेव की मूर्ति प्रतिष्ठित रहती है।

गोविंद देवजी मंदिर (वृंदावन)

कहते हैं इसे भूतों और द‌िव्य शक्त‌ियों ने पूरी रात में मिलकर तैयार क‌िया है। क्योंकि करीब से देखने पर मंद‌िर अधूरा सा लगता है। मान्यता है कि सुबह होने से पहले ही क‌िसी ने चक्की चलानी शुरु कर दी ज‌िसकी आवाज सुनकर मंद‌िर का न‌िर्माण करने वाले काम पूरा क‌िए ब‌िना चले गए थे।

देवघर मंदिर (झारखंड)

कहते हैं देव श‌िल्पी व‌िश्वकर्मा ने इस मंद‌िर के न‌िर्माण का काम एक रात में क‌िया है। मंद‌िर प्रांगण में देवी पार्वती का मंद‌िर बाबा बैजनाथ और व‌िष्‍णु मं‌द‌िर से छोटा है। इसके पीछे कथा है क‌ि देवी पार्वती के मंद‌िर का न‌िर्माण कार्य होते-होते सुबह हो गई ज‌िससे मंद‌िर अधूरा रह गया। देवघर के मंद‌िर की एक अनूठी बात यह है क‌ि इसमें प्रवेश का मात्र एक दरवाजा है।

भोजेश्वर मंदिर (मध्यप्रदेश)

पहाड़ी के ऊपर बने इस मंद‌िर के न‌िर्माण की कथाओं में एक कथा ऐसी है ज‌िसका संबंध द्वापर युग यानी महाभारत काल से है। कहते हैं क‌ि यहां पांडवों ने अपनी माता कुंती के ल‌िए रातों रात व‌िशाल श‌िवल‌िंग की स्‍थापना ‌की थी।

ककनमठ (मध्यप्रदेश)

कच्‍छवाहा वंश के राजा कीर्त‌ि स‌िंह के शासन काल में बने इस मंद‌िर को लेकर एक क‌िंवद‌ंती है क‌ि यह मंद‌िर एक रात में बना है ज‌िसका न‌िर्माण भूतों ने क‌िया है। इस मंद‌िर में एक कमाल की बात यह भी है कि इसमें चूने का प्रयोग नहीं है। पत्‍थरों पर पत्‍थर इस तरह रखे गए हैं क‌ि उनके बीच संतुलन बना हुआ है और आंधी तूफान भी इसे ह‌िला नहीं सकते है।

हथिया देवाल (उत्तराखंड)

इस मंद‌िर के बारे में कथा क‌ि एक हाथ वाले श‌िल्पकार ने एक रात में ही इस मंद‌िर का न‌िर्माण कर द‌िया था। श‌िवल‌िंग का अर्घा दक्ष‌िण द‌िशा में होने के कारण इस मंद‌िर में पूजा करना अन‌िष्टकारी माना गया। श‌िल्पकार के एक हाथ होने के पीछे कई तरह की कथाएं मौजूद हैं।

 

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