कांग्रेस ने चली घिनौनी चाल, नहीं बना पाई सरकार तो मोदी के खिलाफ रच डाला बड़ा चक्रव्यूह

मंत्री पद की मांगइंफाल। मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल के नेता एन. बिरेन सिंह के सामने नई समस्या पैदा हो गई है। नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार विधायकों ने समर्थन देने के बदले अब मंत्री पद की मांग की है। चारों विधायकों ने चार अन्य नागा विधायकों के लिए भी मंत्री पद और महत्वपूर्ण विभागों की मांग की है।

इस बीच, कांग्रेस सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह नागा पीपुल्स पार्टी के इन चारों विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है।

एनपीएफ की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष अवांगबंग न्यूमई ने मणिपुर में भाजपा अध्यक्ष को सोमवार को पत्र लिखा है, जिसमें ये मांगें शामिल हैं।

पत्र में कहा गया है, “एनपीएफ की मणिपुर इकाई की 13 मार्च की बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार पार्टी के चारों विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना चाहिए।”

पार्टी ने एल. दइको के लिए कैबिनेट में जगह मांगी है, जो माओ सीट से निर्वाचित हुए हैं। पार्टी ने कहा है कि तामी सीट से निर्वाचित अवांगबंग न्यूमई को पहाड़ी एवं जनजातीय विकास, लघु सिंचाई एवं निर्माण विभाग के साथ संसदीय सचिव बनाया जाए। चिंगई सीट से निर्वाचित खासिम वशुम को योजना एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग का प्रभारी संसदीय सचिव बनाया जाना चाहिए। फंगयार सीट से निर्वाचित के. लीशियो को सिंचाई एवं खाद्य नियंत्रण एवं ग्रामीण विकास का प्रभारी संसदीय सचिव बनाए जाए।

मणिपुर में संसदीय सचिव को राज्यमंत्री का दर्जा होता है और उसे आमतौर पर स्वतंत्र प्रभार दिया जाता है।

एनपीएफ के पत्र में हालांकि इस बारे में कुछ नहीं लिखा है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तब उसके क्या कदम होंगे। भाजपा के लिए एनपीएफ के चारों विधायकों का समर्थन महत्वपूर्ण है, जिसने 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।

एक अन्य घटनाक्रम के तहत एक छात्र संगठन, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायंस ऑफ मणिपुर (डीईएसएएम) ने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे इकलौते निर्दलीय विधायक असबुद्दीन का समर्थन न लें।

असबुद्दीन ने असम की सीमा से लगे विधानसभा क्षेत्र जिरिबाम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थौदम देबेंद्र को पराजित किया है।

डीईएसएएम के नेताओं ने मंगलवार को इंफाल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “चूंकि जनता गैर मूल निवासी लोगों के प्रवेश और प्रवास पर नियंत्रण के लिए इनर लाइन परमिट प्रणाली लागू करने की मांग कर रही है, लिहाजा किसी भी पार्टी को इस निर्दलीय विधायक का समर्थन नहीं लेना चाहिए। यदि किसी भी दल ने सत्ता हासिल करने के लिए जन भावना की उपेक्षा की तो उसका बहिष्कार किया जाएगा।”

निर्दलीय विधायक असबुद्दीन कुछ दिनों पूर्व इंफाल अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर एक भारी राजनीतिक नाटक के बाद सूर्खियों में आ गए। मंत्री मोहम्मद नासिर असबुद्दीन को इंफाल लाने के लिए खुद जिरिबाम गए थे।

कांग्रेस की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष येंगखोम सुरचंद्रा ने कहा, “उन्होंने हमें समर्थन दिया था। लेकिन सीआईएसएफ का दुरुपयोग कर उन्हें हवाईअड्डे से अगवा कर लिया गया।”

अब खबर है कि असबुद्दीन भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के समर्थक असबुद्दीन को लेने के लिए हवाईअड्डे पर जमा थे, लेकिन असबुद्दीन को हवाईअड्डे के बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें असम भेज दिया गया।

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