जिस देश ने देखा दुनिया का सबसे बड़ा खौफ, वही करने जा रहा भारत को मजबूत

भारत और जापाननई दिल्ली। भारत और जापान के बीच लंबे समय से अटके परमाणु करार होने की उम्मीद बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले महीने जापान की यात्रा पर जाने वाले हैं।

पीएम नरेन्द्र मोदी 11 से 12 नवंबर तक जापान की यात्रा करेंगे। इस दौरान वह जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में बैठक करेंगे, जिसमें असैन्य परमाणु करार पर दस्तखत हो सकते हैं।

भारत और जापान की दोस्ती से चीन-पाक को लगेगा झटका

पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री मोदी के जापान जाने को कूटनीतिक अहमियत बताई जा रही है। पाकिस्तान के मित्र चीन से जापान की खटास किसी से छिपी नहीं है।

वहीँ भारत और जापान की दोस्ती जगजाहिर है। साथ ही जापान के पीएम शिंजो एबी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी मित्रता भी काफी प्रगाढ़ है।

पीएम की जापान यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक में भारत और जापान के शीर्ष नेता भारत तथा जापान के बीच रिश्तों को मजबूत करने के लिए एवं वैश्विक मुद्दों पर गहराई से चर्चा करेंगे।

अगर यह करार हो जाता है तो जापान का यह एक ऐसे देश के साथ पहला असैन्य परमाणु करार होगा, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।  यूपीए सरकार ने भी जापान से परमाणु तकनीक लेने के लिए इस समझौते का प्रयास किया था।

जापान दुनिया का एकमात्र देश है, जिसने परमाणु बम हमले की त्रासदी को देखा है। वह भारत से आश्वासन मांग रहा है कि परमाणु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों या परमाणु परीक्षणों के लिए नहीं करेगा।

सुरक्षा एवं रक्षा मोर्चे पर जापान समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दे सकता है, क्योंकि चीन पूर्वी और दक्षिण चीन सागर तथा हिन्द महासागर में लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है।

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