भारत-अमेरिका रक्षा समझौते पर देश के खिलाफ उतरे तीन देश

भारत-अमेरिकावाशिंगटन। भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग समझौते से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। मंगलवार को उसने इस करार को दोनों देशों के बीच सामान्य सहयोग बताया। हालांकि इसको लेकर चीन के मीडिया ने भारत को धमकाया है।

भारत-अमेरिका की करीबी से रूस भी खफा!

चीनी मीडिया ने चेताते हुए कहा “अमेरिकी खेमे में जाने की भारत की कोशिश से चीन, पाकिस्तान और रूस की नाराजगी बढ़ सकती है। इससे भारत के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं”।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनईग ने कहा, “उम्मीद है कि भारत-अमेरिका के बीच समझौता क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को बढ़ाने का काम करेगा। दोनों पक्षों के बीच इस तरह के सामान्य सहयोग को वास्तविकता में बदलते हुए देखने में हमें खुशी होगी”।

चीन सरकार भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग समझौते को लेकर भले ही ऊपर से चिंतित न होने का दिखावा कर रही हो, लेकिन अंदर से वह भी हिली हुई है। उसकी बौखलाहट सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के संपादकीय के जरिये उजागर हुई है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ग्लोबल टाइम्स का प्रकाशन करती है।

अखबार ने चेताया है कि “अगर भारत, अमेरिका की ओर झुका तो इससे उसकी सामरिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी। निश्चित ही यह भारत और अमेरिका के बीच सैन्य सहयोग के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। अमेरिकी मीडिया इससे खुश है। फो‌र्ब्स ने इसको ‘वॉर पैक्ट यानी युद्ध समझौता’ करार दिया है। हम मानते हैं कि भारत अपने शीत युद्ध के दौर के सहयोगी रूस को छोड़कर नए दोस्त अमेरिका की तरफ जा रहा है”।

समाचार पत्र ने करार को लेकर भारत को सीधे धमकी दी है। उसने संपादकीय में लिखा है, ‘अगर भारत हड़बड़ी में अमेरिकी खेमे में जाता है तो इससे चीन और पाकिस्तान के साथ ही रूस भी नाराज हो सकता है। इससे भारत खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करेगा। उसके लिए समस्याएं बढ़ेंगी। खुद को वह दुश्मनों से घिरा देखेगा।’

भारत और अमेरिका के बीच हुए सैन्य सहयोग से भारत और अमेरिका की सेना मरम्मत और सप्लाई को लेकर एक दूसरे के सैन्य ठिकानों और जमीन का इस्तेमाल कर सकेंगी। भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों ने इस बात पर मुहर लगाते हुए ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम आॠफ एग्रीमेंट’ (एलईएमओए) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

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