
भारत सरकार क सामने अब विकास दर को लेकर एक बड़ी नई चुनौती सामने आ रही हैं. वहीं देखा जाये तो आठ – नौ फीसदी विकास दर इस साल बनाए रखना एक गंभीर मामला हैं। जिसको लेकर भारत भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक अहम् निर्णय ले सकती हैं।

बतादें की सरकार ने भारत की आर्थिक विकास दर आठ-नौ फीसदी के स्तर पर ले जाने का लक्ष्य तय किया है, हालांकि उसके सामने वास्तविक चुनौती इस वृद्धि को बनाए रखना है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में यह बात कही।
जहां उनकी यह टिप्पणी इसलिए भी अहम है, क्योंकि विकास दर को पांच फीसदी के छह साल के निचले स्तर से उबारने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। कांत ने माइनिंग, जिओलॉकिल एंड मेटलर्जिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एमजीएमआई) द्वारा आयोजित 61वें हॉलैंड मेमोरियल लेक्चर में अपने संबोधन में कहा, ‘सरकार ने भारत के लिए फिर से आठ-नौ फीसदी की विकास दर हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। इसमें विकास दर को साल दर साल तीन दशक या ज्यादा वक्त तक आठ-नौ फीसदी की रफ्तार से बरकरार रखना बड़ी चुनौती है।’’
उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किए बिना इतनी लंबी अवधि तक यह विकास दर हासिल करना और उसका प्रबंधन संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यदि हम अगले तीन दशक तक ऐसा कर पाते हैं, तो इस आर्थिक विकास के केंद्र में ऊर्जा क्षेत्र रहेगा।’
कांत ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत वैश्विक औसत की तुलना में एक-तिहाई है और यदि भारत एक विकसित देश बनना चाहता है तो उसे अपनी प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत कई गुना बढ़ानी होगी।
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के विकास अनुमान में भारी कटौती करते हुए 6.5 फीसदी कर दिया है। एडीबी ने एशियाई विकास परिदृश्य (एडीओ) 2019 अपडेट में कहा, ‘पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर घटकर पांच फीसदी पर आने के बाद वित्त वर्ष के लिए भारत का जीडीपी विकास अनुमान घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है।’
दरअसल इससे पहले जुलाई में जारी एडीओ में एडीबी ने राजकोषीय तंगी के चलते 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी के सात फीसदी की दर से विकसित होने का अनुमान जाहिर किया था। हालांकि एडीबी ने वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है।
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