भाजपा के सामने बंगाल विधानसभा चुनाव बना चुनौती, इन मुद्दों से खा सकता है मात

पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरआती महिनों में विधान सभा के चुनाव होने वाले हैं। इस पर सभी नेताओं व दलों ने कमर कस ली है। बिहार के बाद कई पार्टियों को बस इसी का सहरा है जिस के लिए वे काफी मेहनत कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों को लेकर जंग जारी है वहीं इस बार के चुनाव को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) जैसे तमाम मुद्दों के सहारे लड़ने की योजना बन रही है। इसी कड़ी में कमल ने भी बंगाली दीदी (ममता बनर्जी) को घरने की पूरी रणनीति बना ली है।

इन मुद्दों की आड़ में होगी चुनावी जंग
बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग 30 फीसदी है जिसके कारण चुनाव में अतरी आमने-सामने वाली पार्टियों का ध्यान इन्हीं पर बना हुआ है। बतादें कि बंगाल में एनपीआर पर 30 सितंबर तक काम हो जाना था लेकिन कोरोना के कारण यह संभव ना हो सका। जिसको लेकर सियासत गर्म हो रही है वहीं ममता ने इन मुद्दों पर काठ मार केंद्र पर वार कर रही हैं।

लेकिन जानकारी के मुताबिक एनपीआर पर 20 दिसंबर से काम शुरु किया जा सकता है। इसी कड़ी में बिहार की टीएमसी पार्टी भी इन मतदाताओं को लुभाने के लिए एनपीआर, एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहे हैं। वहीं बात करें यदि भाजपा की तो उसे इस विरोध के कारण कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है।

भाजपा ने बना ली रणनीति
बंगाल चुनाव में अपनी जगह बनाने के लिए भाजपा राज्य में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर कड़ी व्यवस्था बनाने जैसी निती का इस्तेमाल किया करते हैं। वहीं इस बार विधानसभा के चुनाव के दौरान भाजपा एनपीआर कराने और इसे एनआरसी से जोड़ने जैसी बात कर सकती है। बता दें कि भाजपा ने बंगाल की लोकसभी में कुल 18 सीटों पर कब्जा किया जिसमें उन्हें हिंदू समाज का काफी सहयोग मिला था। भाजपा के लिए एनपीआर, एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दे किसी चुनौती से कम नही है। अब देखना यह है कि बंगाल में कौन-किस पर भारी साबित होता है।

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