भाद्रपद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु ने भी रखा था उपवास, जानें पूजा का महत्व और विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में आने वाली पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है, नारद पुराण के अनुसार इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। ऐसाी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने उमा-महेश्वर व्रत रखा था। यह पूर्णिमा इसलिए भी महत्व रखती है क्योंकि इसी दिन से पितृ पक्ष यानी श्राद्ध प्रारंभ होते हैं। यह पूर्णिमा भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए सबसे उत्तम मानी गई है। इस वर्ष यह पूर्णिमा 14 सितंबर को है।

भाद्रपद पूर्णिमा

कैसे करें व्रत

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत करने वाले स्त्री- पुरुष ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ-स्वच्छ पूजा स्थल शुद्ध कर लें। एक लकड़ी के पटिए पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा या तस्वीर रखें। पूजन से पूर्व अपनी विशेष कामना की पूर्ति के लि ए संकल्प लें। भगवान सत्यनारायण की पूजा करके सत्यनारायण की कथा सुनें। कथा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें। दिनभर अन्न ग्रहण न करें।

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व्रत के लाभ

भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत करने के अनेक लाभ शास्त्रों में बताए गए हैं। इस दिन विष्णु के स्वरूप भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से जीवन के समस्त कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है। जीवन की समस्त आर्थिक परेशानियों का समाधान हो जाता है। जिस विशेष कामना की पूर्ति के लिए यह व्रत किया जाता है वह जल्दी ही पूरी होती है। अविवाहित कन्याओं और युवकों का विवाह शीघ्र हो जाता है। खोया हुआ मान-सम्मान, पद और प्रतिष्ठा वापस मिल जाती है।

 

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