भगवान भोले को कर लें प्रसन्‍न, आज है शिवरात्रि-सोमवार का महासंयोग

भगवान भोलेशिवरात्रि का पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान भोले को प्रसन्‍न करने का दिन है, प्रसन्‍न भोले अपने भक्‍त की हर मुराद पूरी करते हैं।  विशेष बात यह है कि त्रयोदशी और चतुर्दशी का संयोग जिस समय होता है वहीं से शिवरात्रि का पुण्यकाल आरम्भ होता है। शिवरात्रि को वर्षभर में आने वाली सिद्ध रात्रियों में से एक माना गया है, जब ब्रह्मांड में दिव्य ऊर्जाएं अपने चरम पर होती हैं। इसलिए शिवरात्रि को की गई पूजा-अर्चना, जाप, दान का फल कई गुना होता है।

ज्‍योतिषियों के अनुसार इस बार शिवरात्रि सोमवार को पड़ने से विशेष संयोग बन रहा है। श्रावण मास, शिवरात्रि पर्व और सोमवार एक ही दिन उपस्थित होंगे। सोमवार भगवान शिव को विशेष प्रिय है और उनकी उपासना के लिए श्रेष्ठ दिन है, इसलिए ऐसा संयोग मिलना बड़ा ही दुर्लभ होता है।

भगवान भोले को प्रसन्‍न करने का दिन है आज

आज एक अगस्त सोमवार को प्रातः 4 बजकर 41 मिनट पर त्रयोदशी और चतुर्दशी का संयोग होगा। इस समय चतुर्दशी आरम्भ होगी और शिवरात्रि का पुण्यकाल शुरू हो जाएगा। प्रातः 4 बजकर 41 मिनट से भगवान शिव का अभिषेक शुरू होगा।

कालसर्प योग की शांति के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन रुद्राभिषेक और भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प योग की शांति होती है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या चंद्रमा की दशा चल रही हो उन लोगों को इस दिन रुद्राभिषेक से विशेष लाभ और शिव कृपा प्राप्त होती है।

भगवान शिव सरल स्वभाव के हैं वैसे ही वह सरल पदार्थों से प्रसन्न भी हो जाते हैं। जलाभिषेक के अलावा शिवोपासना में बेलपत्र का विशेष महत्व है। तीन दलों से युक्त एक बिल्व पत्र हम भगवान शिव को अर्पण करते हैं तो वह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करते हैं। अतः शिवरात्रि पर भगवान शिव के अभिषेक में बेलपत्र अवश्य अर्पण करें। दूध, चमेली, बेला और स्वेतार्क के पुष्प तथा सफेद चन्दन भगवान शिव को अर्पण करें।

ध्‍यान रखें ये बातें 
स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए पंचामृत (दूध, दही, बूरा, शहद, मक्खन) से अभिषेक करें।
धन प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें।
शत्रु बाधा मुक्ति के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें।
मानसिक एकाग्रता के लिए दूध से अभिषेक करें।
वर प्राप्ति के लिए केशर युक्त जल से अभिषेक करें।
पत्नी प्राप्ति के लिए दही से अभिषेक करें।
सर्वसिद्धि के लिए गंगाजल से अभिषेक करें।
कालसर्प योग की शांति के लिए काले सफेद तिल और चन्दन युक्त जल से अभिषेक करें।

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