कमजोर हो रहे हैं फेफड़े, तो रोज करें ये 4 ब्रीदिंग एक्सरसाइज

अगर काम करते हुए आप जल्दी थक जाते हैं और आपकी सांस फूलने लगती है, तो इसका अर्थ है कि आपके फेफड़े कमजोर हो गए हैं। फेफड़ों की कमजोरी खतरनाक होती है क्योंकि फेफड़ों के द्वारा ही हमारे शरीर में ताजी हवा प्रवेश करती है और कार्बन डाई आक्साइडयुक्त हवा बाहर निकलती है। फेफड़ों की कमजोरी को कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज के द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है। शोध में पाया गया है कि कुछ हफ्तों तक ब्रीदिंग एक्सरसाइज की लगातार ट्रेनिंग के द्वारा सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) जैसे फेफड़ों के गंभीर रोगों में भी सुधार देखा गया है। आइए आपको भी बताते हैं 4 ऐसी ब्रीदिंग एक्सरसाइज, जो आपके फेफड़ों को बनाएंगी मजबूत और बढ़ाएंगी सांसों पर आपका कंट्रोल।

ब्रीदिंग एक्सरसाइज

चलते हुए ब्रीदिंग एक्सरसाइज

आप दिन भर में कहीं भी पैदल चल कर जाते हैं तो चलते हुए भी आप ब्रीदिंग एक्सरसाइज का अभ्यास कर सकते हैं। इस एक्सरसाइज से आपको गहरी सांस लेने की आदत भी पड़ जाएगी और व्यायाम भी हो जाएगा। इसके लिए आप यह गिनें की कितने कदम चलने में आप सांस को अन्दर भर सकते हैं। माना की यह 4 कदम है। फिर आप यह भी गिनें की कितने कदम चलने पर आप सांस छोड़ सकते हैं, चलिए माना की 6 कदम है। इस तरह से 4 कदम चलने पर स्वांस को पूरा गहरा भरना तथा 6 कदम चलने पर पूरा छोड़ देने के इस क्रम को निरंतर बनाए रखें।

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बैठे हुए ब्रीदिंग एक्सरसाइज

डीप ब्रीदिंग करना बेहद आसान है, इसे करने के लिए सबसे पहले सीधे बैठ जाएं और एक हाथ को छाती पर रखें और दूसरे हाथ को पेट पर रख लें। बस इसके बाद आपको गहरी सांस लेनी और फिर धीरे-धीरे छोड़नी होती है। गहरी सांस लेने और छोड़ने से श्वसन क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इससे फेफड़ों की मांसपेशीयां मजबूत बनती है। बिगड़े खान-पान और आलसी जीवन से शरीर में कई प्रकार के टॉक्सिन पैदा हो जाते हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज से शरीर को मिलने वाली शुद्ध आक्सीजन इन टाक्सिंस को डी-टॉक्सिफाई कर देती हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से हायपरटेंशन, थकान, सिरदर्द, घबराहट, नींद न आने जैसी कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

सुबह उठकर ब्रीदिंग एक्सरसाइज

रोज़ सुबह उठने के बाद बिस्तर छोड़ने से पहले करीब दस मिनट तक खूब सारी सांस भरें और फिर धीरे-धीरे इसे छोड़ें। सांस लेने और छोड़ने दोनों में बराबर समय लगायें। शुरुआत में यह करना थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन एक बार नियम बन जाने व लाभ महसूस होने पर आप इस क्रिया को रोज़ बहुत आसानी से कर पायेंगे।

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अनुलोम-विलोम करें

अनुलोम–विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को ‘नाड़ी शोधक प्राणायाम’ भी कहा जाता है। अनुलोम-विलोम को नियमित करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को किसी भी आयु का व्यक्ति कर सकता है। अनुलोम–विलोम प्रणायाम करने के लिए दरी व कंबल बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। अब अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करें और नाक के बाएं छिद्र से सांस अंदर भरें और फिर ठीक इसी प्रकार बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से दबा लें। इसके बाद दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर फैंके। इसके बाद दायीं नासिका से ही सांस अंदर लें और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 तक गिनती कर बाहर फैंकें। इस क्रिया को पहले 3 मिनट और फिर समय के साथ बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें।

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