
नई दिल्ली | विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा कि ब्रिटेन भारत के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) का प्रवेश द्वार है। उन्होंने संकेत दिया कि भारत चाहेगा कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ में बना रहे। ब्रिटेन में इस मुद्दे पर होने वाले जनमत संग्रह पर भारत की स्थिति से जुड़े सवाल के जवाब में सुषमा स्वराज ने कहा कि हमने हमेशा पाया है और पहले कह भी चुके हैं कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ का एक प्रवेशद्वार है।
निर्णय ब्रिटेन को लेना है
इसके साथ ही सुषमा स्वराज ने यहां मीडिया से कहा कि यह ब्रिटेन की जनता को तय करना है कि वे यूरोपीय संघ में बने रहना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि यह निर्णय ब्रिटेन को लेना है और वहां के लोग अपने राष्ट्रीय हित को दिमाग में रखकर निर्णय लेंगे। भारत के लिए उसमें कोई भूमिका नहीं है।
ब्रिटेन में 23 जून को यह तय करने के लिए जनमत संग्रह होने जा रहा है कि वह यूरोपीय संघ में बना रहे या बाहर हो जाए। इस आयोजन को ब्रिक्जिट कहा जा रहा है। हालांकि मंत्री ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि ब्रिटेन का ईयू से बाहर होना भारतीय हितों को किस तरह प्रभावित करेगा। इसका अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू बाजार पर असर पड़ने की संभावना है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे वैश्विक परिवर्तनशीलता बढ़ जाएगी। इसके परिणाम स्वरूप पूंजी के प्रवाह पर प्रभाव पड़ेगा। घरेलू निवेशक प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव से चिंतित होंगे कि भारत की कुछ कंपनियों ने जिन्होंने ब्रिटने में निवेश कर रखा है, वे घाटे में रहेंगी।