बैंक ऑफ इंडिया से 4.25 करोड़ का घोटाला करने वाले अधिकारी ने खुद किया सरेंडर

बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय शाखा से 4.25 करोड़ रुपये गबन करने के आरोपी अधिकारी वशिष्ठ कुमार राम ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। खास बात यह है कि पुलिस को इसकी भनक चार दिन बाद लग सकी। जबकि, कहा यही जा रहा था कि उसकी तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है।

बैंक ऑफ इंडिया

बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय शाखा में तीन जुलाई को ऑडिट के दौरान 4.25 करोड़ की अनियमितता पाई गई थी। मामले में वरिष्ठ शाखा प्रबंधक विवेक कुमार गुप्ता की ओर से गबन का आरोप लगाते हुए करेंसी चेस्ट अधिकारी वशिष्ठ कुमार राम, एसके मिश्र व उसके पुत्र संजू मिश्र के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

जांच में यह पता चला कि आरोपी मूलरूप से बलिया का रहने वाला है। जिसके बाद एक टीम वहां भी गई लेकिन, उसका पता नहीं चल सका। पुलिस अफसर बार-बार यही कहते रहे कि उसकी तलाश मेें लगातार छापेमारी की जा रही है। लेकिन, इन दावों की पोल खोलते हुए आरोपी बैंक अफसर ने कोर्ट में दो अगस्त को ही आत्मसमर्पण कर दिया।

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जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया। खास बात यह है कि इसकी भनक पुलिस को चार दिन बाद लगी। सूत्रों का कहना है कि पुलिस अलर्ट होती तो आरोपी अफसर इतनी आसानी से कोर्ट में सरेंडर नहीं कर पाता। इसलिए क्योंकि उसकी ओर से 29 जुलाई को ही आत्मसमर्पण के लिए कोर्ट में अर्जी दे दी गई थी।

रिमांड पर लेकर की जाएगी पूछताछ
आरोपी अफसर के कोर्ट में आत्मसमर्पण कर जेल चले जाने की वजह से गबन मामले के कई सवाल अब भी अनसुलझे ही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आरोपी अफसर ने अपने बयान में जिन दो पिता-पुत्रों को रकम देने की बात बताई है, वह कौन और कहां के रहने वाले थे। इसका खुलासा तभी हो सकेगा जब आरोपी अफसर से पूछताछ की जाएगी। धूमनगंज पुलिस का कहना है कि आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। इसके लिए जल्द ही कोर्ट में अर्जी दी जाएगी।

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