बेरोजगारी की दर 45 साल में सबसे ज्यादा- केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने मोदी सरकार की ताजपोशी के अगले ही दिन शुक्रवार को बेरोजगारी के आंकड़े जारी कर दिए. चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष के दावों को खारिज करती रही सरकार ने भी आखिरकार यह मान लिया कि बेरोजगारी की दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है.

बेरोजगारी की दर

जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही. हालांकि, मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने रोजगार के मुद्दे पर घिरी सरकार का बचाव भी किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि रोजगार के इस नये सर्वेक्षण की पिछले आंकड़े से तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में मापने के तौर-तरीके पुराने सर्वेक्षण से अलग हैं. इसकी पिछले आंकड़ों से तुलना ठीक नहीं.  श्रीवास्तव ने कहा कि वह यह दावा नहीं करना चाहते कि आंकड़ा 45 साल का न्यूनतम या अधिकतम है.

वहीं, कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस समस्या के समाधान को कारगर कदम उठाएंगे. मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आर्थिक विकास में गिरावट आई है और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बड़ी चुनौतियां हैं. हम आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री, रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए लघु और दीर्घकालीन रूपरेखा तैयार करेंगे.

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महिलाओं से अधिक पुरुष बेरोजगार

आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी की दर अधिक है. अलग-अलग दोनों की बेरोजगारी दर की बात करें तो देश स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2, जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है.

शहरों में सर्वाधिक बेरोजगारी

लोग रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं. लेकिन ताजा आंकड़े देखें तो शहरों की हालत गांवों से भी खराब है. शहरों में बेरोजगारी की दर गांवों की तुलना में 2.5 फीसदी अधिक है. 7.8 फीसदी शहरी युवा बेरोजगार हैं, तो वहीं गांवों में यह आंकड़ा 5.3 फीसदी है.

पुष्ट हुआ विपक्ष का दावा

लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने 45 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी दर को मुद्दा बना सरकार पर लगातार हमले किए. रिपोर्ट तब जारी नहीं हुई थी. लीक रिपोर्ट के आधार पर हमलावर विपक्ष के दावों को सरकार हवा-हवाई बताती रही. चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद अब, जबकि आंकड़े सार्वजनिक हो चुके हैं, विपक्ष के दावों की ही पुष्टि हुई है. गौरतलब है कि सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों से उद्योग और व्यापार पर विपरीत असर पड़ा था. इसके परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार गंवाना पड़ा था.

 

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