प्रेरक-प्रसंग: बेटे को मैं सिखाऊंगा और बेटी मुझे

एक गर्भवती महिला ने अपने पति से पूछा, आप क्या उम्मीद कर रहे हैं। यह लड़का होगा या लड़की? पति ने कहा, अगर हमारा कोई लड़का है, तो मैं उसे मैथ्स सिखाऊंगा, हम स्पोर्ट्स के लिए जाएंगे, मैं उसे कई सारी चीजें सिखाऊंगा। पत्नी ने हंसते हुए कहा- और अगर इसकी लड़की हुई, तो क्या होगा?

बेटे को मैं सिखाऊंगा और बेटी मुझे

पति ने कहा कि अगर हमारे घर में लड़की का जन्म हुआ, तो मुझे उसे कुछ भी नहीं सिखाना पड़ेगा क्योंकि मुझे फिर से सभी चीजें करना सिखाएगी। जैसे कि कैसे कपड़े पहनें, कैसे खाना खाएं, क्या कहना चाहिए, क्या नहीं कहना चाहिए।
संक्षेप में कहूं, तो वह मेरी दूसरी मां होगी। भले ही मैं कुछ खास न करूं, वह मुझे अपना हीरो मानेगी। जब मैं उसे किसी चीज के लिए मना करूंगा, तो वह हमेशा उस बात को समझेगी।

वह हमेशा मेरी तुलना अपने पति से करेगी, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाए। वह हमेशा यही चाहेगी कि मैं अपनी बच्ची को गुड़िया की तरह प्यार करूं। वह मेरे लिए दुनिया से लड़ेगी और अगर कोई मुझे दुखी करेगा, तो वह उस व्यक्ति को कभी माफ नहीं करेगी।
पत्नी ने कहा कि आपके कहने का मतलब है कि आपकी बेटी उन सभी कामों को करेगी, लेकिन आपका बेटा नहीं करेगा? इस पर पति ने कहा- “नहीं .. नहीं! हो सकता है कि वह भी ऐसा ही करेगा, लेकिन उसे यह सब करना सीखना होगा।

वहीं, बेटियां इन सब खूबियों के साथ पैदा होती हैं। बेटी का पिता बनना किसी भी पुरुष के लिए गर्व की बात है। इस पर पत्नी ने कहा – लेकिन, वह हमारे साथ हमेशा नहीं रहेगी। एक न एक दिन तो वह शादी करके अपने ससुराल चली जाएगी।

पति ने कहा लेकिन तब भी हम उसके साथ रहेंगे, उसके दिल में, हमेशा के लिए। तो इससे वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कहां जाती है। वह दूर रहकर भी हमसे जुड़ी रहेगी।

 

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