बीजेपी ने बड़ी कीमत चुकाकर जीत ली हारी हुई बाजी, सब खुश हो कर रहे जय-जयकार  

बीजेपीमुंबई। महानगर पालिका (बीएमसी) की सत्ता बीजेपी मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को ‘उपहार’ में देकर अपनी सत्‍ता बचाने की कीमत चुकाई है। बीजेपी को सरेंडर कराने में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की रणनीति काफी काम आई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि बीएमसी चुनाव परिणामों के बाद उद्धव ने बीजेपी नेताओं से संपर्क बिल्कुल तोड़ दिया था। यहां तक कि वे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का फोन तक रिसीव नहीं कर रहे थे।

इससे सारे समीकरण बदल गए और संकेत गया कि शिवसेना किसी भी स्तर तक जा सकती है। इतना ही नहीं उद्धव के आदेश पर शिवसेना के मंत्रियों ने सरकार से कामकाज से खुद को अलग करना भी शुरू कर दिया।

बीजेपी में अरोपों की बरसात

विपक्ष ने कहा कि BJP ने मुंबईकरों के साथ धोखा किया है। जिस शिवसेना को चुनाव प्रचार में बीजेपी ने भ्रष्टाचारी, माफिया और हफ्ताखोर कहा अब बीजेपी उसी की मदद कर रही है। मुख्यमंत्री ने चुनाव प्रचार में कहा था कि यह उनका शब्द है, अब कहां गया ‘उनका शब्द’।

बीएमसी के मोर्चे पर सरेंडर होने के बाद विपक्ष ने बीजेपी पर आरोपों की बरसात कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सांसद अशोक चव्हाण, मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम और मुंबई एनसीपी के अध्यक्ष सचिन अहिर ने बीजेपी के इस फैसले की आलोचना की है।

शिवसेना मंत्रियों की धमकी से डरी भाजपा

कहा जा रहा है कि बीजेपी चाहती, तो आसानी से बीएमसी में शिवसेना को शिकस्त दे सकती थी। एमएनएस के साथ मिलकर शिवसेना को चित करने का जो प्लान बीजेपी के नेता बना रहे रहे थे, उससे शिवसेना खेमे में हलचल मच गई थी। इसके बाद ही शिवसेना ने बीजेपी सरकार की लगाम कसना शुरू की।

मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक में जिस तरह से शिवसेना नेताओं ने बगावती तेवर दिखाए और बैठक से बाहर निकल कर जिस तरह से शिवसेना मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि शिवसेना मंत्रियों के लिए मंत्री पद उद्धव ठाकरे के आदेश से बड़ा नहीं है, उसके बाद बीजेपी सहम गई।

मोदी की राष्‍ट्रपति रणनीति पर मुख्‍यमंत्री को हिदायत

पिछले दिनों मुख्यमंत्री जब दिल्ली गए थे, तब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। उस बैठक में फडणवीस ने राज्य में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के गोलबंद होने की जानकारी मोदी को दी थी। कहा जा रहा है कि उस बैठक में मोदी ने फडणवीस को हिदायत दी थी कि जुलाई में राष्ट्रपति पद का चुनाव है, ऐसे में महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर सरकार पर कोई आंच नहीं आने देना चाहिए। इसके बाद फडणवीस ने दिल्ली से मुंबई लौटकर BJP के शिवसेना विरोधी खेमे को खामोश करा दिया था।

BJP को होने वाले खतरे

  • बजट सत्र में विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कह चुका है। इस स्थिति में अगर शिवसेना विपक्ष के साथ मिल जाती, तो सरकार गिरने का खतरा था।
  • राज्य की 8 जिला परिषदों में अपनी सरकार बनाने के लिए बीजेपी को शिवसेना का समर्थन जरूरत है। बीएमसी में शिवसेना को चित करने का मतलब था, एक मुंबई कब्जाने के लिए इन 8 जिला परिषदों की सत्ता से हाथ धो बैठना।
  • जिन 8 जिला परिषदों में बीजेपी मंत्रियों ने मेहनत करके बीजेपी को सत्ता के करीब पहुंचाया है, उनका भी यह दबाव था कि अकेली बीएमसी की सत्ता के लिए उनकी मेहनत पर पार्टी की सत्ता को दांव पर नहीं लगाया जाना चाहिए।
  • BJP अगर किसी तरह बीएमसी में अपना महापौर चुनवा भी लेती, तो उसके पास इतना संख्याबल नहीं था कि वह शिवसेना को कंट्रोल करके पांच साल शांति से कामकाज कर पाती। उसे रोज नई मुसीबत का सामना करना पड़ता।
  • 6 मार्च से राज्य विधानमंडल का बजट सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में बीएमसी में शिवसेना को हराने का मतलब होता कि BJP के लिए बजट पास कराना मुश्किल हो जाता।
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