प्रधानमंत्री मोदी से जुड़े रिश्वत मामले की जांच हो

नई दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने मंगलवार को सवाल किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कॉरपोरेट घरानों- सहारा और बिड़ला समूहों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई राजनेताओं को कथित तौर पर किए गए भुगतान से संबंधित रिश्वत मामले की जांच के आदेश क्यों नहीं दिए हैं? उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला ने कहा, “पीएमओ बिड़ला और सहारा पेपर्स मामले में एक स्वतंत्र और विस्तृत जांच से क्यों बच रहा है?”

बिड़ला और सहारा पेपर्स

कॉरपोरेट घरानों से कथित रिश्वत लेने वाले राजनीतिक नेताओं की सूची में शीला का नाम भी शामिल है।

कांग्रेस नेता ने पूर्व में इस तरह की डायरी के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया था। हालांकि उन्होंने कहा था कि इससे कांग्रेस उपध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मोदी पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप की गंभीरता कम नहीं होती। उन्होंने रिश्वत लेने वालों की सूची में शामिल सभी नेताओं की जांच की मांग की, भले ही इसमें कांग्रेस के सदस्य क्यों न हों।

शीला ने उन मीडिया रपटों को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अगले साल के शुरू में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान से खुद को अलग कर लिया है।

उन्होंने राज्य में दो चुनावी सभाओं के बारे में ट्वीट कर कहा, “मैं मीडिया की अटकलों- ‘शीला ने उप्र से दूरी बनाई’ से हैरान हूं, ऐसी खबरों पर मुझे हंसी आती है। अलीगढ़ जाने का मेरा कार्यक्रम नहीं था। मैं बुधवार को बाराबंकी में रहूंगी।”

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