ओवैसी के मुंह पर एक मुस्लिम ने जड़ा करारा तमाचा, राम मंदिर मुद्दे पर याद दिलाई औकात

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटीनई दिल्ली। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने अयोध्या विवाद का समाधान अदालत से बाहर किए जाने की संभावनाओं से इनकार किया। कमेटी के समन्वयक जफरयाब जिलानी ने हालांकि कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मामले में स्वयं दखल दें और मध्यस्थता करें तो इसका स्वागत किया जाएगा। जलानी ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श आने के बाद ये बातें कहीं, जिसमें शीर्ष अदालत ने मामले का समाधान आपसी बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से करने की बात कही है। जिलानी के इस बयान को असद्दुदीन ओवैसी द्वारा दिए गए बयान का जवाब भी माना जा रहा है। जिसमें उन्होंने कहा कि ये हमारा मालिकाना हक है।

सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श आने के बाद जिलानी ने कहा, “हमें इस मामले में तभी भरोसा होगा, जब प्रधान न्यायाधीश स्वयं मामले में मध्यस्थता करें या इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की टीम मनोनीत करे अथवा खुद मामले की सुनवाई करें। लेकिन, हम अदालत के बाहर किसी भी समाधान के लिए तैयार नहीं हैं।”

उन्होंने कहा, “मामले का बातचीत के जरिये समाधान संभव नहीं है। इसका निपटारा अदालत में ही होना चाहिए। मामला काफी समय से अदालत में लंबित है। यदि अदालत मामले के निपटारे के लिए बातचीत से समाधान का आदेश पारित करती है तो हम आगामी कदम पर विचार करेंगे।”

मामले के आपसी बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण समाधान का सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने इस संबंध में 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक अलग पीठ गठित करने का अनुरोध किया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच अयोध्या की विवादित भूमि का बंटवारा संबद्ध पक्षों में किए जाने की बात कही थी।

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