बढ़ती मंहगाई को लेकर शिवसेना ने छोड़ा केंद्र पर तीर, कहा- जनता की जेब से पैसे छीनने में लगी है सरकार

देश में लगातार आम आदमी को मंहगाई की मार पड़ रही है। बता दें कि देश में पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतें आसमान छूने पर हैं। इसी बीच केंद्र सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने तीर छोड़ा। अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने दावा करते हुए कहा कि सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में कहा कि लॉकडाउन के चलते देश के आम आदमी की कमर पहले से ही टूट चुकी है लेकिन फिर भी सरकार लोगों की जेब से पैसे निकालने में लगी हुई है।

यदि बात करें शिवसेना के सामना की तो उसमें लिखा गया कि, “केंद्रीय बजट में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर ‘कृषि उपकर’ लगाया। इससे महंगाई बढ़ेगी, पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, ऐसा केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया था। लेकिन यह वचन हवा में घुला-मिला भी नहीं, इतने में पेट्रोल-डीजल ही नहीं, बल्कि रसोई गैस सिलिंडर के दाम भी बढ़ गए। पेट्रोल-डीजल की कीमत 35 से 37 पैसे बढ़ी है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रण मुक्त किए जाने से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें जैसे-जैसे घटती-बढ़ती हैं, वैसे-वैसे हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत भी कम-ज्यादा होती है। यह सत्य है।”

मुखपत्र सामना में आगे कहा गया कि, “यहां सवाल सरकार द्वारा दिए गए वचन का है। चार दिन पहले सरकार के एक मंत्री ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए कृषि उपकर का कोई भी परिणाम पेट्रोल-डीजल की दर वृद्धि पर नहीं होगा। फिर चार ही दिन में यह दर वृद्धि कैसे हुई? अब यह सरकार हमेशा की तरह एक तो चुप्पी साधकर बैठ जाएगी या फिर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आए उतार-चढ़ाव की ओर उंगली दिखाकर हाथ खड़े कर लेगी। पेट्रोल पर प्रति लीटर ढाई रुपए तो डीजल पर प्रति लीटर 4 रुपए कृषि उपकर लगाया जाएगा। इसका हवाला देते हुए की गई ईंधन दर वृद्धि कम कैसे है? और इसका कृषि कर से संबंध क्यों नहीं है?”

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