बढ़ती उम्र के साथ अपनी डाइट में शामिल करें ये विटामिन्‍स और मिनरल्‍स भारी चीज़े

बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर की जरूरतें भी बदलती हैं, उन्‍हें विशिष्‍ट पोषक तत्‍वों की जरूरत होती है। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं की डाइट में पोषक तत्‍वों की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है, इसमें विटामिन बी-12, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन डी, कैल्शियम, आयरन और जिंक शामिल हैं। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि कुछ विटामिन्‍स और मिनरल्‍स को अपनी डाइट में शामिल कर महिलाएं अपनी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकती हैं। इस बारे में हरजिंदगी ने शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डाइटिशियन सिमरन सैनी से बात की तब उन्‍होंने हमें 35 उम्र की महिलाओं के लिए जरूरी विटामिन्‍स और मिनरल्‍स के बारे में बताया।

बढ़ती उम्र के साथ अपनी डाइट में शामिल करें ये विटामिन्‍स और मिनरल्‍स भारी चीज़े

डाइटिशियन सिमरन सैनी का कहना हैं कि ”आमतौर पर जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, शरीर में एनर्जी की जरूरत कम हो जाती है और प्रोटीन की जरूरतें बढ़ती जाती है। ज्यादातर फिजिकल एक्टिविटी कम होने से एनर्जी की जरूरत भी कम हो जाती है और उम्र बढ़ने के साथ मसल्‍स मास कम होने से एनर्जी की जरूरत कम होती जाती है। बेसल मेटाबॉलिक दर भी कम हो जाती है। लेकिन अन्‍य पोषक तत्‍वों की जरूरत बढ़ जाती है।”

यह महिलाओं की बॉडी के लिए बहुत जरूरी होता है और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसकी जरूरत भी बढ़ने लगती है। जी हां घावों को भरने, इंफेक्‍शन से लड़ने, फ्रैक्चर की मरम्मत के लिए प्रोटीन की बहुत जरूरत होती है।

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विटामिन डी

विटामिन डी आपके शरीर को कैल्शियम का उपयोग और इम्‍यूनिटी को ठीक से काम करने में मदद करता है (अर्थात, विटामिन डी आपके शरीर को इंफेक्‍शन को रोकने और लड़ने में मदद करता है)। विटामिन डी के दो मुख्य स्रोत सूरज का प्रकाश और आपकी डाइट हैं। विटामिन डी से भरपूर फूड्स में फैटी फिश और फोर्टिफाइड डेयरी प्रोडक्‍ट शामिल है।

कैल्शियम

प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं में रोजाना 800 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है और पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में इसकी जरूरत 1000 मिलीग्राम तक बढ़ जाती है। मेनोपॉज होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों को स्थिर करने के लिए कैल्शियम की जरूरतों को बढ़ना बहुत जरूरी है। डेयरी प्रोडक्‍ट (जैसे दूध, पनीर, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां) कैल्शियम के प्रमुख स्रोत हैं। अन्य फूड स्रोतों में कैल्शियम-फोर्टिफाइड प्रोडक्‍ट और चबाने योग्य हड्डियों वाली मछली (जैसे सैल्मन) में होता हैं। कैल्शियम का पर्याप्त सेवन आपको ऑस्टियोपोरोसिस, पेट के कैंसर और हाई ब्‍लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है।

आयरन

ज्‍यादातर भारतीय महिलाओं में आयरन की कमी पाई जाती हैं, इसलिए आयरन से भरपूर फूड्स को रोजाना लेना बहुत जरूरी होता है। फूड्स में दो अलग-अलग तरह का आयरन पाया जाता है, हेम और नॉन-हेम। लीन रेड मीट, मुर्गी और मछली से मिलने वाले आयरन को हेम के रूप में जाना जाता है और इसे अच्छी तरह से अवशोषित किया जाता है।

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फलियों (जैसे छोले और बेक्ड बीन्स), नट्स, गहरे हरे रंग की सब्जियां, होल वीट ब्रेड और ड्राई फ्रूट्स में पाया जाने वाला आयरन नॉन-हेम (अकार्बनिक) होते हैं। हेम आयरन की तुलना में नॉन-हेम आयरन आसानी से अवशोषित नहीं होता है। अगर आप पर्याप्त आयरन का सेवन नहीं करती हैं, तो आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है।

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