बच्चों के भोजन में इन बातों पर दें नज़र, दूध के अलावा इन चीज़ों का सेवन है ज़रुरी…

बच्चों के भोजन को लेकर बड़ों का सावधानी बरतना बहुत जरुरी होता है. उनको भोजन के साथ सभी जरुरी तत्व मिलें ये सुनिश्चित करना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में हम कई बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं. ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त व संतुलित भोजन की जानकारी माता-पिता को नहीं होती है, वहीं शहरी क्षेत्रों में भोजन की गलत आदतों के कारण बच्चे बीमारियों से ग्रस्त हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही कुछ जरुरी बातों के बारे में…

बच्चों

 

क्या दूध है संपूर्ण भोजन?
दूध हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-डी पाए जाते हैं। बच्चे के जन्म के पहले वर्ष में मां का दूध एक आदर्श पोषण होता है। अन्य सभी खाद्य पदार्थ अनाज, दालें, सब्जियां, फल, नट्स और अंडे वजन के आधार पर दूध से अधिक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। वहीं दूध के अधिक सेवन से एनीमिया और मोटापा हो सकता है। इसलिए सिर्फ दूध पर ही नहीं निर्भर रहना चाहिए।

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फलों का रस अमृत है
एक गिलास रस में लगभग 8 चम्मच के बराबर चीनी होती है। यह बिना फाइबर के सिर्फ कैलोरी प्रदान करती है।  शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि प्रतिदिन एक गिलास जूस पीने से मोटापा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। बच्चों को जूस देने के बजाय ताजे और रेशेदार फल खाने के लिए प्रेरित करें। ताजे फलों के साथ नट्स भी दे सकती हैं। यह एक बेहतर विकल्प है।

पालक आयरन का अच्छा स्रोत है
दशकों से माता-पिता अपने बच्चों को पालक खिला रहे हैं। वह इसे लोहे का एक समृद्ध स्रोत मानते हैं, लेकिन लोहे की दैनिक खुराक प्राप्त करने के लिए पालक को बड़ी मात्रा  में खाना होगा, क्योंकि पालक की उच्च फाइटेट सामग्री से बहुत कम लोहा अवशोषित होता है। वास्तव में, फूलगोभी, शलजम और चुकंदर के पत्तों का अधिक सेवन करना चाहिए। ये लोहे के समृद्ध स्रोत हैं।

सुबह का नाश्ता सबसे महत्वपूर्ण भोजन
एक अध्ययन से पता चला है कि किसी भी खाने का सही पैटर्न अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। अगर बच्चे के नाश्ते में फल और सब्जियां शामिल हैं, तो ये कैलोरी को संतुलित करते हैं और इनमें परिष्कृत शर्करा और वसा शामिल नहीं है, तो यह एक संतुलित भोजन है। यदि उठते ही बच्चे को भूख लगे तो ही उसे नाश्ता दें और अगर नहीं, तो भूख लगने पर ही दें।

अंडे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं
अंडे में मात्र वसा और कोलेस्ट्रॉल होता है, जो बच्चों में मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा आयरन और कैल्शियम युक्त अंडे प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं। यह एक सुपर फूड है।

नियोफोबिया
नियोफोबिया (नए स्वाद का डर) न केवल शिशुओं को बल्कि वयस्कों को भी प्रभावित करता है। अनुसंधान से पता चलता है कि बच्चे नए खाद्य पदार्थ को स्वीकार करने से पहले कई बार हिचकिचाते हैं। इसलिए माता-पिता को धैर्य रखकर उनकी न को हां में बदलना होगा। भले ही इसके लिए उन्हें लंबा समय क्यों न लग जाए। याद रखें कि चार साल की उम्र तक के बच्चे द्वारा पसंद किया गया भोजन बाद में भी उसका पसंदीदा खाद्य पदार्थ बना रहता है।

 

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