
पुणे। जहां एक ओर पीएम मोदी तलाक के मामले में काफी सक्रीय हैं। वहीं इतिहास में पहली बार यहां की सिविल कोर्ट ने अपनी कार्यशैली में बड़ा फेरबदल करते हुए एक जोड़े का फोन पर तलाक मंजूर किया। बता दें इस मामले में वीडियो कॉलिंग सर्विस स्काइप के जरिए तलाक की प्रक्रिया पूरी की गई। बता दें तीन तलाक मामले में पीएम मोदी और उनकी पार्टी लम्बे समय से विरोध करते रहे हैं।
फोन पर तलाक मंजूर
तलाक के मामले में सुनवाई के लिए पति सिंगापुर से कोर्ट में हाजिर हुआ, वहीं किसी काम के चलते पत्नी कोर्ट नहीं पहुंच सकी। जिसके बाद कोर्ट ने महिला को स्काइप पर अपना पक्ष रखने की इजाजत दी।
कोर्ट में दोनों पक्षों के वकील शामिल हुए। वीडियो कॉलिंग के जारिए दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गयीं। अंत में कोर्ट ने दोनों के तलाक पर मंजूरी दे दी।
बता दें पति और पत्नी ने आपसी सहमति के जरिए हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13B के तहत अगस्त 2016 में कोर्ट में तलाक की अर्जी दी थी। याचिका में दोनों की शादी के टूटने का जिक्र किया।
ख़बरों के मुताबिक़ याचिका में बताया गया कि कपल एक ही कॉलेज में पढ़ता था। इस दौरान दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। दोनों ने शादी का फैसला किया और हिंदू रीति-रिवाजों से दोनों का विवाह संपन्न हुआ। बाद में दोनों पुणे शिफ्ट हो गए और अलग-अलग कंपनियों में काम करने लगे।
उन्होंने एक फ्लैट भी खरीदा। कुछ महीने बाद दोनों को विदेश जाकर नौकरी करने का मौका मिला। पति को सिंगापुर में और महिला को लंदन में नौकरी करने का अवसर मिला।
पति सिंगापुर जॉब करने चला गया जबकि पत्नी पुणे में रह गई। पत्नी ने कहा कि वह भी विदेश में नौकरी करना चाहती थी, लेकिन शादी उसके करियर के आगे आ रही थी।
इस कारण दोनों में तनाव पैदा होने लगे साथ ही विचारों में भिन्नता आने लगी। पारिवारिक रिश्तों में तनाव बढ़ता देख दोनों ने आपसी सहमति से तलाक लेने का फैसला किया।





