फेक न्यूज पर वाट्एसएप, डीईएफ ने सामुदायिक नेताओं को दिया प्रशिक्षण

जयपुर| राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर व्हाट्एसएप और डिजिटल एम्पॉवरमेंट फाउंडेशन (डीईएफ) ने जयपुर में सामुदायिक लीडर्स के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया। इसका उद्देश्य भ्रामक जानकारी की चुनौतियों के प्रति आगाह और सचेत करना था। वाट्सएप ने एक बयान में कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यशाला वाट्सएप उपयोगकर्ताओं को फेक न्यूज की पहचान करने में सक्षम बनाएगा और इस तरह वाट्सएप उपयोगकर्ता बदलाव के वाहक बन सकेंगे।
फेक न्यूज
अगस्त में व्हाट्सएप और डिजिटल एम्पॉवरमेंट फाउंडेशन ने 10 राज्यों में शैक्षिक कार्यशालाओं की श्रृंखला का शुभारंभ किया था। इन कार्यशालाओं में यूजर्स को इस बारे में शिक्षित किया गया कि मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग किस प्रकार किया जाए। उन्हें भारत में भ्रामक जानकारी की महामारी को रोकने के उपाय बताए गए, जो इस साल की शुरुआत में हिंसा का कारण बनी थी।

वाट्सएप और डीईएफ इस साल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और राजस्थान में प्रशिक्षणों का आयोजन कर रहे हैं, जिसके बाद तेलंगाना में प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।

इन प्रशिक्षणों का उद्देश्य राज्यों में चुनाव और भ्रामक जानकारी के फलस्वरूप इस साल हुई प्रेरित-हिंसा की घटनाओं को रोकने पर है। टीमें मार्च, 2019 तक प्रमुख राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और झारखंड में भी पहुंचेंगी।

वाट्सएप के पब्लिक पॉलिसी मैनेजर बेन सपल ने कहा, “व्हाट्सएप को राजस्थान में लाखों लोगों को दुनिया में कहीं भी अपने प्रियजनों से स्वतंत्रतापूर्वक कनेक्ट होने में मदद करने पर गर्व है। ये प्रशिक्षण लोगों को इस चुनावी मौसम में सुरक्षित रहने और नुकसानदायक अफवाहों को फैलने से रोकने में मदद करने की हमारी कार्ययोजना के प्रमुख हिस्सा हैं।”
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जयपुर में आयोजित चौथी एजुकेशन वर्कशॉप में वाट्सएप यूजर्स को झूठी खबरें पहचानने में समर्थ बनाया। इसके अलावा इसने उन्हें अफवाहों और विचारों में अंतर करने में समर्थ बनाया। उनसे झूठी खबरों की घटनाओं का समाधान करने के उपाय साझा किए तथा वाट्सएप पर सुरक्षित रहने के सुझाव दिए।

डीईएफ के संस्थापक-निदेशक ओसामा मंजर ने कहा, “भ्रामक जानकारी की समस्या केवल गांवों तक सीमित नहीं है। लेकिन गांवों की जनसंख्या को प्रमाणित खबरों के वैकल्पिक समाचार स्रोत उपलब्ध नहीं होते।

इस समस्या का एकमात्र समाधान शिक्षा है। हम जानते हैं कि यदि हम सत्यापन की कुछ मौलिक बातें लोगों को बताएंगे, तो वे कम से कम अन्य दो लोगों को और इसके बारे में बताएंगे। इससे रिपल प्रभाव उत्पन्न होगा और भ्रामक जानकारी का समाधान करने में मदद मिलेगी।”

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