फंसा कमल! पश्चिमी यूपी में कमल के लिए राह हो सकती है मुश्किल

लोकसभा चुनाव:  उत्तर प्रदेश चुनाव में एक अहम रोल अदा करता है| ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर पश्चिमी यूपी की उन सीटों पर हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि 2014 में इन्हीं सीटों से हवा का रुख बदला था, और भाजपा को 80 में से 71 सीट मिली थी| लेकिन इस बार हालात कुछ बदले है, और इस बार भाजपा को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है|

 

जिन सात सीटों पर भाजपा को चुनौतियों का सामना कर पड़ सकता है उनमें यूपी के सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, और बिजनौर शामिल है| यूपी के आठ जिले ऐसे हैं, जहां विपक्षी पार्टियां, बीजेपी को सीधा टक्कर दे सकती है|

सहारनपुर
यूपी का सहारनपुर जो एक मुस्लिम बहुल इलाका है, यहां पर मुख्य मुकाबला बसपा के फजलुर्रहमान, कांग्रेस के इमरान मसूद और भाजपा के राघव लखन पाल के बीच है और इस त्रिकोणीय मुकाबले में सभी पार्टियों की नजर मुसलमान मतों के बंटवारे पर होगी| 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के राघव लखन पाल ने कांग्रेस के इमरान मसूद को 65,090 वोट से हराया था| गन्ना भुगतान, उद्योगों का पलायन, अव्यवस्थित यातायात सहारनपुर के प्रमुख मुद्दे हैं|

कैराना
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी अहम सीट है| 2014 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी| पिछले 2014 के चुनाव में भाजपा के हुकुम सिंह ने सपा उम्मीदवार नाहिद हसन को 2 लाख से अधिक मतों से हराया था| लेकिन 2018 के उपचुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी| 2018 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर 4,389 वोट नोटा को डाले गए थे, राष्ट्रीय लोक दल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन को कुल 4,81,182 वोट मिले थे, जबकि भारतीय जनता पार्टी की मृगांका सिंह को कुल 4,36,564 वोट मिले थे|

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लेकिन अब मुकाबला 2019 लोकसभा चुनाव का है, जहां इस सीट से सपा की तबस्सुम हसन, भाजपा के प्रदीप चौधरी और कांग्रेस के हरेंद्र मलिक मैदान में हैं. कांग्रेस यहां जाट वोटों पर सेंध मारने की कोशिश में है, जो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है| गन्ना भुगतान, शामली विकास प्राधिकरण की मांग, रिम-धुरा उद्योग की बदहाली यहां की प्रमुख मुद्दे हैं|

मुजफ्फरनगर
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित लोकसभा सीटों में से एक है जहां हर पार्टियों की नजर टिकी रहती है| पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ‘जाटलैंड’ के नाम से मशहूर ये क्षेत्र अभी भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में है. यहां से राष्ट्रीय लोक दल के अजित सिंह और भाजपा के संजीव बलियान के बीच मुकाबला होने वाला है|

इस सीट पर गठबंधन प्रत्याशी जाट, दलित, और मुसलमान के वोट के सहारे रहेंगे तो वहीं भाजपा यहां ध्रुवीकरण की राजनीति करने की कोशिश करेगी| इस सीट पर 27 फीसदी मुस्लिम वोटर मौजूद हैं| मुजफ्फरनगर दंगे में दर्ज फर्जी मुकदमें, सांप्रदायिक तनाव, मेरठ-करनाल राजमार्ग निर्माण, गन्ना भुगतान यहां के प्रमुख मुद्दे हैं|

मेरठ
मेरठ लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश का केंद्र और राजनीतिक संदेश के हिसाब से अहम सीट मानी जाती है| यह सीट पिछले दो दशकों से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है| 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत यहां से ही की थी| 2019 के लोकसभा सीट के भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल, कांग्रेस के हरेंद्र अग्रवाल, और बसपा ने हाजी याकूब कुरैशी के बीच मुकाबला होगा|
इस सीट से दलित-मुसलमान गठबंधन और वैश्य मतों के बंटवारे से भाजपा को कठिन चुनौती का सामना कर पड़ सकता है| मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण से किसानों में फैला असंतोष, कानून-व्यवस्था, हाइकोर्ट बेंच की मांग और उद्योगों की सुविधाएं जैसी मुद्दे शामिल हैं|

बागपत
बागपत पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी गढ़ माना जाता है. और इस लोकसभा सीट पर इस बार भी पूरे देश की नजरें होगी क्योंकि यहां से ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह सांसद रह चुके है| उसके बाद उनके बेटे अजित सिंह ने भी यहां से कई बार चुनाव जीता है| 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी के बागपत भाजपा के प्रत्याशी सत्यपाल सिंह और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी जयंत चौधरी मैदान में हैं| इस चुनाव में भाजपा के लिए जाट-दलित, मुसलमान वोट और सत्ता विरोधी महौल से निपटने के लिए महत्वपूर्ण चुनौती होगी| इसके अलावा गन्ना मूल्य भुगतान, जिले में कोई राजकीय डिग्री कॉलेज न होना, और यूपी-हरियाणा सीमा विवाद जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं|

गाजियाबाद
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर गठन के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. इस हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट पर पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है| 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान के विदेश राज्यमंत्री को टिकट दिया गया है| इस सीट के उनका मुकाबला सपा के सुरेश बंसल और कांग्रेस की डॉली शर्मा से है| लेकिन असली मुकाबला भाजपा और सपा के बीच होने वाला है. कानून-व्यवस्था, रोजगार, बड़े आवासीय प्रोजेक्ट में फंसे आवंटन, सफाई व्यवस्था जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं|

बिजनौर
बिजनौर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की सबसे वीआइपी सीटों में से एक मानी जाती है| इस सीट पर कई राजनीतिक दिग्गज अपनी किस्मत आजमा चुके हैं| फिर चाहे वह बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती हों या फिर लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान| 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के भारतेंद्र सिंह ,बसपा के मलूक नागर और कांग्रेस के नसीमुद्दीन सिद्दीकी मैदान में हैं| इस सीट से बसपा और कांग्रेस के बीच मुसलमान मतो के बंटवारे से भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है| जल प्रदूषण यहां के प्रमुख मुद्दे हैं|

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