प्रेरक-प्रसंग : साप और नेवला
एक व्यक्ति ने घर की रक्षा और सर्पों से बचने के लिए नेवला पाला। नेवला बड़ा स्वामिभक्त स्वभाव का था। पति−पत्नी दोनों ही किसी काम से बाहर निकल जाते तो वह पूरी तरह घर की चौकीदारी करता।
एक दिन गृह स्वामिनी कुँए से जल भरने गयी। बच्चे को सोता छोड़ गयी। इतने में एक भयंकर काला नाग निकला, वह बच्चे को डसने ही वाला था, कि नेवले ने उसके टुकड़े−टुकड़े कर दिये। बच्चा यथावत जीवित बना रहा।
गृह स्वामिनी पानी लेकर लौटी, तो उसने घर के द्वार पर बैठे नेवले को देखा कि उसके मुँह से खून लिपटा हुआ है। बात की पूरी जाँच−पड़ताल किये बिना ही यह अनुमान लगा लिया कि इसने मेरे बच्चे को मार डाला। आवेश में उससे इतना भी न बन पड़ा कि वस्तुस्थिति को जाने और जाँचे। उसने जल से भरा घड़ा नेवले के ऊपर पटक दिया। वह तत्काल चूर−चूर हो गया।
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हमारे जीवन में भी ऐसी कई घटनाएँ अक्सर होती हैं जब हम बिना सोचे विचारे और सच्चाई के जाने बिना कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसकी वजह से हमें जिंदगी भर पछताना पड़ता है। अतः परिस्थितियों को ठीक से जाने बिना कोई भी निर्णय लेने से बचें।