प्रेरक-प्रसंग: संस्कार

लगभग दस साल का एक बालक राधा का गेट बेल बजा रहा था | राधा ने बाहर आकर पूछा क्या है क्यों बेल बजा रहे हो ?

संस्कार

बालक बोला – आंटी जी क्या मैं आपका गार्डन साफ कर दूँ ?

राधा – नहीं हमे साफ नहीं कराना |

फिर हाथ जोड़कर दयनीय स्वर में वह बालक बोला : आंटी प्लीज साफ करवा लीजिए, मैं बहुत अच्छे से साफ करता हूँ |

उसकी बात सुनकर राधा द्रवित हो उठी और उस बच्चे को गार्डन साफ करने के बदले कितना पैसा लेगा जब पूछा तो वह बालक बोला आंटी जी पैसा नहीं चाहिए | आप मुझे बस खाना दे देना |

राधा को लगा कि बच्चा बहुत भूखा है इसलिए खाना मांग रहा होगा | मैं इसे पहले कुछ खाना दे देती हूँ और थोड़ी देर में राधा खाना लेकर आयी और बोली लड़के पहले तू खाना खा ले फिर काम करना |

बच्चा बोला – नहीं आंटी जी पहले मैं काम खत्म कर लूँ फिर आप खाना दे देना |

ठीक है कहकर राधा अपने काम में मशगूल हो गई |

एक घंटे में उस लड़के ने अपना काम निपटा लिया और आंटी को दिखाकर के बोला, देखिए आंटी अच्छी सफाई हुई है |

राधा उसके बढ़िया काम को देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुई | उसके काम से खुश होकर राधा तुरंत भीतर से खाना लेकर आयी और उसे लड़के को दिया |

बालक ने जेब से एक थैला निकला और खाने को उस थैले में रख लिया | ये देख राधा को आश्चर्य हुआ और बोली तुम्हे तो भूख लगी थी न तो फिर ये खाना पैक क्यों कर लिया, तू खाना यही खा ले और जरुरत होगी तो और भी दूंगी |

बालक बोला – नहीं आंटी मेरी बीमार माँ घर पर है | सरकारी अस्पताल से दवा तो मिल गयी है, पर डॉ. साहब ने कहा है कि दवा खाली पेट नहीं खाना है |

राधा उस बाल की बात सुनकर भावुक हो गयी बस उसकी आँखों से आंसू निकलने वाला था | उसने उस मासूम बालक को खुद अपने हाथों से खाना खिलाया और उसकी माँ के लिए ताजी गर्म रोटियाँ बनाई | बालक के साथ उसके माँ के पास गयी और कही – बहन आप बहुत अमीर हो जो ‘दौलत’ आप ने अपने बेटे को दी है वो हम अपने बच्चों को नहीं दे पाए | आप धन्य है आपका बच्चा बड़ा ही ‘खुद्दार’ है |

LIVE TV