प्रेरक-प्रसंग : बॉस का अपमान

प्रेरक-प्रसंगएक कंपनी का बॉस यात्रा के दौरान गांव से गुजरा तो कुछ लोगों ने उन्हें अपशब्द कहने के साथ अभद्र व्यवहार करना शुरु कर दिया। इस पर बॉस ने कहा, मैं कल आकर उत्तर दूंगा।

लोग बहुत हैरान हुए। फकीर से उन्‍होंने कहा, ‘हमने तुम्हारा अपमान किया है, तुम्हारे बारे में अभद्र बातें कहीं । तुम हमसे झगड़ने की बजाए कल आकर उत्तर देने की बात कर रहे हो।’

बॉस ने कहा, ‘पहले मैं घर जाकर सोचूंगा कि तुम लोगों ने जो अपमान किया है, कहीं वह ठीक तो नहीं। हो सकता है, तुम लोगों ने जो बुराइयां मुझमें बताई हैं, वे सचमुच मुझमें हों। इसीलिए पहले मैं जांच करूंगा। फिर कल आकर उत्तर दूंगा। इसमें झगड़ा कैसा?’

बॉस की महानता गांव के लोगों को अब समझ में आ गई। अपने व्यवहार से लज्जित वे सभी फकीर के पैरों में गिर पड़े।

अर्थात :

हमें किसी भी बात का तुरंत उत्तर देने की बजाए, पहले उस बारे में विचार करना चाहिए। हो सकता है आप सही हों, लेकिन गलत भी तो हो सकते हैं।

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