प्रियंका की भूमिका पर राहुल का जवाब- सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं कांग्रेस महासचिव, ये तो पहला टास्क है

लखनऊ। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते दिनों अपनी बहन प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव नियुक्त कर उन्हें पूर्व उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है। उनके इस फैसले से जहां पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है तो वहीं कहा यह भी जा रहा है कि राहुल का यह निर्णय लोकसभा चुनाव में मास्टरस्ट्रोक साबित होगी।

हालांकि, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आम चुनाव में प्रियंका की भूमिका को लेकर साफ कर दिया है कि महासचिव को मिली जिम्मेदारी केवल उत्तरप्रदेश तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि, वह पूरे देश में कांग्रेस के लिए काम करेंगी।

प्रियंका कांग्रेस महासचिव, इसलिए उनकी राष्ट्रीय भूमिका- कांग्रेस अध्यक्ष

एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने प्रिंयका गांधी की आगामी चुनाव में भूमिका को लेकर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि महासचिव होने के नाते प्रियंका गांधी की राष्ट्रीय भूमिका है, मैंने अभी उन्हें एक टास्क दिया है, पहले टास्क की सफलता पर दूसरा टास्क दिया जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश के पूर्वी हिस्से में पार्टी का विस्तार मेरा मकसद है। इसमें बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तरप्रदेश शामिल है। यह कोई छोटा काम नहीं है। ज्ञात हो कि यूपी में सपा-बसपा के साथ गठबंधन नहीं हो पाने के बाद कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था। जिसको लेकर राहुल गांधी ने पार्टी को कम नहीं आंकने की बात कही थी। कांग्रेस ने पूर्वी उत्तरप्रदेश की 33 सीटों का जिम्मा प्रियंका गांधी को, जबकि पश्चिम उत्तरप्रदेश की सीटों की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी है।

मोदी के दिल में गरीबों के लिए प्यार नहीं- राहुल

मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैंने अपने 15 साल के राजनीतिक जीवन में किसी भी नेता के खिलाफ विपक्ष की ऐसी एकजुटता नहीं देखी। यहीं नहीं अगर मैं मंत्रिमंडल में शामिल राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी समेत अन्य लोगों से बात करूंगा तो वो भी प्रधानमंत्री के काम करने के तरीके से खुश नहीं होंगे।

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पीएम मोदी की तुलना इंदिरा गांधी से करने के सवाल पर राहुल ने कहा कि यह पूर्व प्रधानमंत्री की बेईज्जती होगी। उन्होंने कहा जहां एक तरफ मेरी दादी के हर फैसले प्यार से भरे हुए थे तो वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी के सभी फैसले नफरत के आधार पर तय होते हैं। उनके दिल में गरीबों के लिए प्यार नहीं है।

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