प्रवासी भारतीयों (NRI) के खातों में जमा 94 अरब डॉलर इस वर्ष होने वाले हैं परिपक्व ! देखें क्या असर पड़ेगा रुपए पर…

भारतीय रुपए के लिए यह साल चुनौती भरा हो सकता है क्योंकि प्रवासी भारतीयों (NRI) के बैंक खातों में जमा 94 अरब डॉलर की धनराशि परिपक्व होने वाली है.

भले ही प्रवासी भारतीय सारा पैसा बैंक खातों से बाहर नहीं निकालेंगे लेकिन पश्चिमी देशों और भारत में मिलने वाले ब्याज का फर्क कम होने से कुछ डिपॉजिट बंद किए जा सकते हैं.

NRI (नॉन-रेजिडेंट इंडियन) ज्यादातर लंबी अवधि के बजाय कम अवधि के लिए डिपॉजिट करना पसंद करते हैं और गिरती ब्याज दरें भी इसमें अहम भूमिका निभा सकती हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वित्तीय वर्ष 2019 के लिए जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, एनआरआई समुदाय के कुल 130.4 अरब डॉलर बैंक खातों में जमा है जिसमें से 94 अरब डॉलर की धनराशि इसी वित्तीय वर्ष में परिपक्व होने वाली है.

 

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मुद्रा बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि यह आंकड़ा देखने में चेतावनी भरा लग सकता है लेकिन 90 फीसदी डिपॉजिट को आगे की समयसीमा में बढ़ा (कैरी फॉरवर्ड) दिया जाता है.

चिंता की बात ये है कि कुल एनआरआई डिपॉजिट में छोटी अवधि वाले डिपॉजिट में धीरे-धीरे उछाल आ रहा है. प्रवासी भारतीयों के कुल डिपॉजिट में एक साल की परिपक्वता अवधि वाले डिपॉजिट की हिस्सेदारी मार्च 2015 में 51 फीसदी थी जो मार्च 2019 में बढ़कर 72 फीसदी पहुंच चुकी है.

विश्लेषक इसके लिए भारतीय बाजार में छोटी अवधि के निवेश पर ज्यादा रिटर्न को भी जिम्मेदार मान रहे हैं. पिछले एक साल में लंबी अवधि के निवेश की तुलना में छोटी अवधि के डिपॉजिट पर ब्याज दरें ऊंची हुई हैं जिसकी वजह से प्रवासी भारतीयों को ये लुभा रहा है.

इसके अलावा, भारतीय समुदाय नई सरकार से कई सुधारों के जरिए आकर्षक मौकों की उम्मीद कर रहा था.

एनआरआई समुदाय भारतीय बैंकों में पैसा जमा करने में इसलिए भी उत्साह दिखाते हैं क्योंकि विदेश और भारत की ब्याज दरों में बड़ा फर्क होता है.

हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से मिलते संकेत के बीच ब्याज दरों में गिरावट की संभावना जताई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो एनआरआई समुदाय के पास पहले की तरह बेहतरीन रिटर्न के मौके नहीं होंगे.

 

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